Friday, December 30, 2011


एक लेखक के रूप में लिखते हुए मैंने हमेशा इस बात को महसूस किया है कि भजन लिखने में जो शांति मिलती है मन को वह कुछ और लिखने में कभी नहीं मिलती / तो मित्रों आप सभी के लिए एक भजन प्रस्तुत है / अगर आप को पसंद आया तो मैं अपने आपको धन्य मानूंगा

भोले बाबा जपता रहूँ मैं नाम तेरा निश- दिन
मनमंदिर में शिव विराजें हर पल और हर छीन --------
तपती रेट है जीवन का पथ
जग झूठा है तू ही एक सच
तडपूं ऐसे तेरे दरश को, जैसे जल बिन मीन , मन मंदिर ------
मोह माया में मन नहीं रमता
तेरी खोज में मन है भटकता
कब लेगा तू अपनी शरणमें, जाए दिन गिन गिन, मन मंदिर ----
पुन्य कोई मैंने नहीं कमाया ,
बस तेरा ही गीत मैं गाया
नाम तो आशुतोष है तेरा, तोष होगा किस दिन, मन मंदिर में ---

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