Monday, December 19, 2011

कल कौशल उप्रेती ने मुकेश जी पर एक बड़ा सुन्दर पोस्ट डाला था/ इस लिए मैं आज अपनी दोनों पेरोडी मुकेश जी के २ मशहूर गीतों को आधार मान कर लिख रहा हूँ / दोनों ही फिल्म दुल्हा दुल्हन के गीत हैं / पहले है "जो प्यार तूने मुझको दिया था " इस पेरोडी का सन्देश है कि अयोग्य नेताओं से हमें समर्थन वापस लेना चाहिए .. पढ़िए ...

जो वोट मैंने तुझको दिया था वह वोट अपना मैं लौटा लिया हूँ 
अब तुझसे उम्मीद कोई न बाकी, नाकारा तू है समझ पा रहा हूँ ,-----
हम को खबर भी होने नहीं दी, तूने "वतन" को "कफ़न" में लपेटा
सहलाके चेहरे को तूने हमारा, मारा रे ज़ालिम कैसा यह चांटा
तुझपे भरोसा जो अब तक किया था ,कब्र में उसको सुलाने चला हूँ ,अब तुझसे ----
तुझको कहें क्या, नहीं देखा तुझसा , इंसान कोई कहे कैसे तुझको
बातें न पूछो हमारी ऐ यारों, पछता रहे होंगे "भगवान" भी तो
ग़लती पे अपनी "वह" रोते ही होंगे, यह सोच कर मैं मरा जा रहा हूँ, अब तुझसे ---
हे राम हमको क्षमा तुम ही करना, मारी गयी थी हमारे मति जो
"गौ" को तो हमने "कसाई" को सौंपी, मातृभूमिकी हुई दुर्गति जो
तुमसे हे भगवन विनती है इतनी,उठा लो इनको मैं यह कह रहा हूँ
अब तुझसे उम्मीद कोई न बाकी, नाकारा तू है समझ पा रहा हूँ ,-----

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