Friday, December 16, 2011

मित्रों मैं एक साधारण सा आदमी हूँ, पर जाने आपने मुझ में क्या देखा जो आज मेरे जन्मदिन पर, मुझ पर शुभकामनाओं की बरसात कर दी / आपके स्नेह,प्रेम और अपनेपन की घटा से बरसती बौछारें मेरे मन को भीगो गयी है / जहाँ तक मुझसे बन पड़ा मैंने हर किसी के पोस्ट का समुचित और माकुल उत्तर देने का प्रयास किया है, इसमें मैं कहाँ तक सफल रहा यह आप ही जानें / आपके असाधारण प्यार के जवाब में मैंने एक छोटी सी कविता लिखी है अभी अभी / निवेदन है इसे पढ़ें और अपनी प्रतिक्रिया देने का कष्ट करें

बड़ी सी गाडी और दो -तीन मकानों का मालिक मेरे एक परिचित ने ;
पूछा मुझसे आज , बता कभी आत्म निरीक्षण किया है अपना तूने //
मैंने कहा उससे ऐ मेरे भाई , तमाम ज़िन्दगी साफगोई मैं अपनाई;
मैं क्या हूँ इस बात की झलक , दोस्तों की आँखों ने मुझको बतलाई //
झिड़क कर कहामुझसे धन्य है रे तू मिटटी का माधो ही बना रहा ,
बता इतनी लम्बी ज़िन्दगी में अब तक तूने क्या क्या है कमाया //
कहा मैंने,छोड़ जाऊँगा मैं जो यहाँ उन का हिसाब बता क्या रखना;
नश्वर चीजों के पीछे बता पागल बनके बेकार नहीं है क्या फिरना //
इतना पर सुनले रे भैय्या जीवन में दोस्त बहुत मैंने हैं कमाए ,
जिनकी छवी सुबह शाम मेरे दिल के धड़कन में तो हैं बसे हुए //
एक दिन वह आएगा जब सब कुछ छोड़ के मैं यहांसे जाऊँगा ;
दोस्तों की यादों में जानूं पर मैं हर पल तो जिंदा ही रहूँगा //

सभी मित्रों का फिरसे धन्यवाद ... हँसते रहें हंसाते रहें , यही जीवन है

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