मित्रों आपको याद होगा एक फिल्म आयी थी "जागते रहो" / उसमें एक बड़ा सुन्दर सा गीत था "जागो मोहन प्यारे " / मैंने सोचा उसी तर्ज़ पर मैं भी मामा को कुछ कहूं / आखिर श्री कृष्ण ने भी तो बड़ी कोशिश की थी अपने मामा कंस को अधर्म के मार्ग से लौटाके ले आने के लिए / अपना काम है कर्तव्य करना आगे मामा की तकदीर उसके प्रारब्ध के अनुसार / खैर आप गीत देखिये
जागो मोहन मामा , जागो
कब तक यूँ ही बंधक बनोगे, जागो मामा - मोहन जागो----
खोल के आँखें देखो ज़रा सा
तुमने बनाया खुद का तमाशा
बात ज़रा सी है, जब समझोगे , जागो मोहन ------------
नाम जो अब तक तुमने कमाया
उस पर तुमने है दाग लगाया
सर्फ़ भी न धो पाओगे , जागो मोहन ---------------
कुर्बान हुए जो इस माटी पर
मरके भी बन गए सारे अमर
जीवन उधार का क्यों जीयोगे , जागो मोहन ----------
तेरे ही कौम के कितने ही भाई
देश के खातिर जान लुटाई
सोचा नहीं था तुम इतने गिरोगे , जागो मोहन -------------
आह ग़रीब की लग जायेगी
मैडम तेरी न काम आयेगी
ग़रीबों की तुम कब सोचोगे , जागो मोहन ----------------
इंसान जन्म हुआ इंसान बन रे
रीढ़ हड्डी में तू दम ले आ रे
रेंग के माटी पे क्या तुम बनोगे , जागो मोहन ---------------
भानजे ने समझाया, समझो कुछ तो
कंस-कृष्ण कथा , याद करो तो
कंस के जैसा अंत पाओगे , जागो मोहन ---------------
* भानजे ने समझाया, अब मामा समझता है या नहीं यह उसका नसीब , भानजा बेचारा क्या करेगा ?
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