Wednesday, December 14, 2011

मामा भांजे को भूला सकता है, पर भांजा मामाको भूल जाए, ऐसा होना असंभव है / तो मित्रों मैंने फिर से अपने मन्नू मामा के गुणों का वर्णन करने के लिए गीत लिखने का निश्चय किया / पर इन पर आप कोई प्रतिक्रिया दें तब न कोई बात बने / तो आज जो गीत (पैरोडी) आप सबकी सेवा में प्रस्तुत है उसका विवरण ऐसा है

मूल गीत - हुस्नवाले तेरा जवाब नहीं , कोई तुझसा नहीं हज़ारों में
फिल्म - घराना ( १९६२) कलाकार - राजेंद्र कुमार , आशा पारेख, गीतकार - शकील बदायुनी - संगीतकार - रवि शर्मा - गायक - मोहम्मद रफ़ी

मन्नू मामा तेरा जवाब नहीं
तुझ सा पाजी न हों हज़ारों में, मन्नू मामा तेरा जवाब नहीं ---
तू वह नेता है जिसने जीवन में
इलेक्शन एक न लड़ा है कभी
खुद को असमिया तू कहलाता
लोग कहते हैं कि तू है पंजाबी
झूठ ऐसा सदा तू कहता है
पछाड़े सच को जो बाजारों में, मन्नू मामा तेरा जवाब नहीं ---
एक बार उतरा था मैदान में तू
चारों खाने तू गिरा था चित्त हो कर
लोक सभा में न आऊँगा कभी
खाई थी कसमें तूने तंग हो कर
पीठ दिखा के तू तो भागा रे
नाम लिखवाया है तूने कायरों में , मन्नू मामा तेरा जवाब नहीं
अक्ल पे तेरा पड़ चूका पर्दा
कैसे ज्ञानी तू खुदको कहलाया
बेच के तूने अपनी इज्ज़त को
सब की नज़रों में तू तो गिर ही गया
मर्द बनके कैसे तू पैदा हुआ
हो गया शामिल अब तो किन्नरों में ,मन्नू मामा तेरा जवाब नहीं




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