Tuesday, December 27, 2011

यह पोस्ट विशेष रूपसे मेरी बहन उषा और नैनी के लिए है / दादा का एक और रंग देखो आज / भक्ति का रंग जिसमें केवल समर्पण और विश्वास का भाव होता है 

दौड़ते आये चक्र लिए तुम , गज ने पुकारा जब तुमको 
आये नहीं पर कभी "चक्रधर" मैंने पुकारा जब तुमको ---------
हूँ मैं अभागा या हूँ कर्महीन, दर्शन जो तुम देते नहीं 
आस की डोरी फिर भी न टूटी , चाहे तुम हो सुनते नहीं
मन की साध तो होगी पूरी, इतना भरोसा है मुझको ,--------------
मन में कोई खेद नहीं प्रभु , चाहे वर तुम दो न दो
ह्रदय में तुम तो बसे हुए हो, चाहे नैन के आगे न हो
अन्तकाल मैं आना गिरधर, इतना कहना है मुझको, ------------

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