Saturday, December 17, 2011

नदी का काम है बहते जाना, हवा का काम है शीतलता फैलाना, फूल का काम है खिलते रहना/उसीतरह मेरा काम है लिखते जाना, जो पढ़े उसका भला, जो न पढ़े उसका और अधिक भला/ तो मित्रों आज की पेरोडी प्रस्तुत है देश की हालत पर / मूल गीत है फिल्म "हरियाली और रास्ता" से "लाखों तारे आसमान में, एक मगर ढूंढे न मिला"/ आज सुबह की पहली भेंट

लाखो नेता हैं देश में, एक इमानदार मुझे पर न मिला
सब ने मिल कर देश की इज्ज़त खाक में दिया है मिला ---
बचपन से ही देखते आये, करतब इन बेईमानों के
किस्से ख़त्म न होंगे इनके कैसे बखानूं मैं इनके
जी करता है , जा के दबोचूं , इन पापियों का मैं गला ,सब ने -----
यह जाने न कोई शराफत, इनका खुदा तो दौलत है
धन है मंदिर, धन ही देवता,धन इनकी इबादत है
जनता के यह नेता देखो, देंगे भरोसे का क्या सिला , सब ने ----
कानून जो बनवाते देशके, वही तो तोड़े कानून
खा जायेंगे देश को कच्चा कैसा इनका है रे जूनून
कितने पाप किये थे हमने, हमको ऐसा नेता है मिला , सब ने ---
जागो जनता, चेतो जनता, अपने हक़ को तो जानो
नहीं हैं सेवक यह तो तुम्हारे इनकी नीयत पहचानो
यह वह कमीने है जो घर पे अपने ही डाका है डाला , सब ने ---

No comments:

Post a Comment