एक मित्र हैं अपने श्री सुभाष चन्द्र, जो मुझे अपना बड़ा भाई मानते हैं / उन्हीके सुझाव पर एक और पेरोडी प्रस्तुत करता हूँ/ उन्होंने फिल्म "प्यासा" का एक और गीत "जिन्हें नाज़ है हिंद पर वह कहाँ है " पर लिखने का सुझाव दिया था / तो पढ़िए
यह टूटी सी सड़कें , यह हरदम "पॉवर कट"
जहाँ भी गया देखा, होती है खट-पट
कहाँ हैं कहाँ हैं वह भाषण वाले
जिन्हें हमने दिया था "वोट " वह कहाँ है, जहाँ है, कहाँ है, कहाँ है -----
सब्जी "सौ" की ली, फिर भी थैली भरी न
"पांच सौ" के तेल , फिर भी मीटर उठी न
महंगाई बन गयी है पूंछ "बजरंगी " की
जिन्हें हमने दिया था "वोट " वह कहाँ है, जहाँ है, कहाँ है, कहाँ है ------------
बिना घूस के तो काम बनता नहीं है
अदालत में भी न्याय मिलता नहीं है
शराफत की बातें करो उडती खिल्ली
जिन्हें हमने दिया था "वोट " वह कहाँ है, जहाँ है, कहाँ है, कहाँ है -----------
शिकायत करो तो हैं पुलिस के डंडे
आतंकी बने अब तो सरकारी पण्डे
अहिंसा के गाने यह फिर भी हैं गाते
जिन्हें हमने दिया था "वोट " वह कहाँ है, जहाँ है, कहाँ है, कहाँ है ---------
कभी "नारी" को देवी कहता था यह देश
हवा वह चली नारी का बदला हैं अब भेष
दिखावे का है सब यह बैठक, सभा सब
जिन्हें हमने दिया था "वोट " वह कहाँ है, जहाँ है, कहाँ है, कहाँ है -----------
कहाँ तक गिनाएं कमियाँ इन सब की
यह कहना ग़लत है कि मर्जी है रब की
हैं कायर हमी तो यह बन बैठे ज़ालिम
जिन्हें हमने दिया था "वोट " वह कहाँ है, जहाँ है, कहाँ है, कहाँ है ----------
आओ प्यारे भाई, करें इनको सीधा
हो इंसान तुम तो, न हो कोई गधा
कुर्सी पे बिठाया था हमने ही इनको
हटाना भी इनको बड़ा ही आसान है , आसान है, आसान है ------------
यह टूटी सी सड़कें , यह हरदम "पॉवर कट"
जहाँ भी गया देखा, होती है खट-पट
कहाँ हैं कहाँ हैं वह भाषण वाले
जिन्हें हमने दिया था "वोट " वह कहाँ है, जहाँ है, कहाँ है, कहाँ है -----
सब्जी "सौ" की ली, फिर भी थैली भरी न
"पांच सौ" के तेल , फिर भी मीटर उठी न
महंगाई बन गयी है पूंछ "बजरंगी " की
जिन्हें हमने दिया था "वोट " वह कहाँ है, जहाँ है, कहाँ है, कहाँ है ------------
बिना घूस के तो काम बनता नहीं है
अदालत में भी न्याय मिलता नहीं है
शराफत की बातें करो उडती खिल्ली
जिन्हें हमने दिया था "वोट " वह कहाँ है, जहाँ है, कहाँ है, कहाँ है -----------
शिकायत करो तो हैं पुलिस के डंडे
आतंकी बने अब तो सरकारी पण्डे
अहिंसा के गाने यह फिर भी हैं गाते
जिन्हें हमने दिया था "वोट " वह कहाँ है, जहाँ है, कहाँ है, कहाँ है ---------
कभी "नारी" को देवी कहता था यह देश
हवा वह चली नारी का बदला हैं अब भेष
दिखावे का है सब यह बैठक, सभा सब
जिन्हें हमने दिया था "वोट " वह कहाँ है, जहाँ है, कहाँ है, कहाँ है -----------
कहाँ तक गिनाएं कमियाँ इन सब की
यह कहना ग़लत है कि मर्जी है रब की
हैं कायर हमी तो यह बन बैठे ज़ालिम
जिन्हें हमने दिया था "वोट " वह कहाँ है, जहाँ है, कहाँ है, कहाँ है ----------
आओ प्यारे भाई, करें इनको सीधा
हो इंसान तुम तो, न हो कोई गधा
कुर्सी पे बिठाया था हमने ही इनको
हटाना भी इनको बड़ा ही आसान है , आसान है, आसान है ------------
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