फिल्म - फिर से -- सोलवां साल
गीत - है अपना दिल तो आवारा
विषय - नेताओं के घटिया चरित्र का चित्रण
नोट - आखरी अंतरा जनता का जवाब है नेता को
है अपनी नीयत बहुत घटिया , कब हमसे जाने क्या होगा ;-----
साधुओं ने बुलाया, संतों ने समझाया
मैं जनम का ढीठ कहाँ समझा
मैं जन्मों से धन का हूँ भूखा , यही धन काम तो आएगा
है अपनी नीयत बहुत घटिया , कब हमसे जाने क्या होगा ;-----
पोलिटिक्स में आया , चुनाव जीत गया
मंत्री बन गया तो पौ बारह
ताला तकदीर का खुल ही गया , अब जीवन भर मज़ा होगा
है अपनी नीयत बहुत घटिया , कब हमसे जाने क्या होगा ;-----
घोटाले मैंने किये , काले धन लिए
विदेशों जा कर जमा किया
कोई मेरा क्या कर लेगा, जो मर्जी हमारी वही तो होगा
है अपनी नीयत बहुत घटिया , कब हमसे जाने क्या होगा ;-----
जनता नेता को कहती है
सुनले रे नेता पाजी, हारेगा अब बाज़ी
बड़े दिनों तक आराम किया
जो जागेगी मुल्क की जनता , तू दो पल में ही "ऊपर" होगा
जो काला धन कमाया तुने , बता तेरे संग क्या वह जाएगा ....
फिर भी कहाँ समझेगी यह सरकार , यह मंत्री और यह नेता /
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