Friday, December 16, 2011

रोता चिल्लाता एक आदमी घूस आया थाने में सुबह सुबह / सारा का सारा थाना खाली था , बस एक सिपाही ऊंघ रहा था एक कोने में / आदमी जो देखने में ग़रीब लगता था फर्श पर लेट गया और सीपाही का पैर पकड़ लिया/ सीपाही झटके से जाग कर उठा बैठा और और अपना पैर छुडाने लगा / आदमी था कि पैर छोड़ने को तैयार ही नहीं था / जैसे तैसे उसे शांत करके सिपाही ने उसे जब पूछा तो पता चला कि वह शहर की सबसे बड़ी मंडी में हम्माल का काम किया करता है / घर पर व्याहने लायक लडकी की शादी के लिए उसने अधिक मेहनत कर पिछले २ सालों में १० हज़ार रुपये जमा कर रखे थे अपने संदूक में/ कल हे रातको घर में सेंध लगा कर चोर ने वह रुपये उड़ा लिया और शादी में ३ दिन बाकी है अभी / वह बिनती कर रहा था कि पुलिस उसकी मदद करे पैसे दिलवाने और चोर पकड़ने में /

सारी बातें सुन कर सिपाही ने उसे झिड़क दिया वजाय हमदर्दी जताने के / कहा तेरा कोई और काम है नहीँ, सुबह सुबह मुँह उठाये चला आया दिमाग चाटने, चल निकल यहाँ से / आदमी बिलख रहा था / सिपाही ने एक लाठी जमाई उसके पीठ पर और कहा पता है तुझे मंत्री जी की बेटी की शादी है / वहां का काम देखने और सुरक्षा के लिए पूरा थाना गया हुआ है , शादी होगी , बारातियों की आवभगत होगी फिर दूल्हा दुल्हन को सब छोड़ने जायेंगे, रास्ते में आतंकवादियों का हमला होने की आशंका लगा जो रहता है / तुझे पता है कितना काम है मंत्री जे के घर पर / और तू चला आया तेरा १० हजार का रोना रोने/ चल भाग यहाँ से नहीँ तो तेरे नाम पर चोरी का रिपोर्ट लिखा कर तुझे ही बंद का दूंगा अन्दर /

आदमी आंसू पोंछता हुआ उठा और सर झुका कर बाहर जाने लगा, रास्ते पर पहुँच कर अनमना रास्ता पार कर रहा था कि तेज़ गति से आते हुए एक ट्रक ने उसे कुचल डाला / ट्रक के पीछे लिखा था - "फिर मिलेंगे " - "मेरा भारत महान"

2 comments:

  1. एक आम आदमी की तकलीफ ...कोई नहीं सुनता बिलकुल सच कहा .... छोटी पर सच सी प्रतीत होती कहानी

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  2. Sampa, main jo kahanee ya kavita likhta hoon woh mere anubhavon par hee aadharit hotee hai

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