Thursday, December 22, 2011

एक और पेरोडी उनके लिए , जिन्हें यह पसंद है , मूल गीत है फिल्म मेला का - यह ज़िन्दगी के मेले 

यह पंजे के झमेले ,यह पंजे के झमेले 
कब तक बने रहेंगे, और हम इसे सहेंगे , यह पंजे ----
इंसानियत न जाना -  खुद को ही देश माना 
कब तक यूँ  दोगे धोखे - जनता करेगी फाके 
उजड़ेंगे तेरे मेले, उजड़ेंगे तेरे मेले - यह पंजे के झमेले ---
तुमको मिला न कोई  - एक गोरी में आयी 
इज्ज़त माटीकी खोयी -हुई हैं जगहंसाई 
बने सारे उसके चेले- बने सारे उसके चेले, यह पंजे के झमेले ----
जब जागेगी  यह जनता - पीटेगी तुमको जूता 
तुमको तो करके नंगा - मेम दिखायेगी ठेंगा 
सर पे पड़ेंगे ढेले- सर पे पड़ेंगे ढेले ,  यह पन्जे के झमेले ---

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