एक और पेरोडी उनके लिए , जिन्हें यह पसंद है , मूल गीत है फिल्म मेला का - यह ज़िन्दगी के मेले
यह पंजे के झमेले ,यह पंजे के झमेले
कब तक बने रहेंगे, और हम इसे सहेंगे , यह पंजे ----
इंसानियत न जाना - खुद को ही देश माना
कब तक यूँ दोगे धोखे - जनता करेगी फाके
उजड़ेंगे तेरे मेले, उजड़ेंगे तेरे मेले - यह पंजे के झमेले ---
तुमको मिला न कोई - एक गोरी में आयी
इज्ज़त माटीकी खोयी -हुई हैं जगहंसाई
बने सारे उसके चेले- बने सारे उसके चेले, यह पंजे के झमेले ----
जब जागेगी यह जनता - पीटेगी तुमको जूता
तुमको तो करके नंगा - मेम दिखायेगी ठेंगा
सर पे पड़ेंगे ढेले- सर पे पड़ेंगे ढेले , यह पन्जे के झमेले ---
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