Sunday, December 25, 2011

मित्रों आपको याद है न ऋषि कपूर की पहली फिल्म नायक के रूप में , जिसमें उसने एक गीत गाया था "मैं शायर तो नहीं ---" / अचानक मैंने सोचा अपना मन्नू मामा भी तो पहली बार नायक बना है, भले ही नकली हो / तो उसी गीत के तर्ज़ पर एक पेरोडी मामा पर भी हो जाए ... तो पढ़िए और अगर गा सकते हों तो उसको गा कर भी मज़ा दुगुना कीजिये अपना 

मैं नेता तो नहीं - मगर ऐ मैडम 
जबसे तूने वर दिया है - नेताई आ गयी है 
मैं गूंगा तो नहीं - मगर ऐ मैडम
जबसे तूने डांटा मुझको - बोलती बंद हुयी है -------
गद्दी का नाम मैंने सुना था मगर
खुश मैं होता था ख़्वाबों में वह देख कर
तेरा एहसान कैसे चुकाऊँ भला
आ गया है मज़ा अब यहाँ बैठ कर
मैं काबिल तो नहीं - मगर ऐ मैडम
जबसे तूने शरण दिया है- काबिलियत आ गयी है ---------
तेरे चरणों का हूँ दास मैं तो मैडम
तेरी सेवा में लेता रहूँ मैं जनम
तेरी मैं जबसे हूँ करने लगा
क्या है जीवन मैं यह तो समझने लगा
मैं जिंदा तो नहीं , मगर ऐ मैडम
तेरी खिदमत की बदौलत, जान मुझमें आ गयी है -----------
अपने चमड़ी की जूती बना लूं अगर
तेरी चरणों की शोभा बढाऊँ अगर
कह दिया है क़सम से तेरा दास यह
धन्य होगा यह जीवन यह सच बात है
मैं जूती तो नहीं , मगर ऐ मैडम
जबसे देखे पों तेरे, चाहतें जग गयी है --------------

* ममाने इतनी अच्छी वंदना अगर भगवन की , की होती तो शायद मोक्ष मिल जाता

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