Monday, May 5, 2014



ज़िंदगी को सही राह दिखानेवाले कुछ पोस्ट डाले - आपको हंसाने के लिए भी कुछ पोस्ट डाले - लेकिन आप लोग तो अपनी मांद से निकलते ही नहीं- चलिए एक कोशिश और करते हैं..

पिछले हफ्ते एक संगीतकार आए थे मुझसे कुछ ग़ज़ल लिखवाने अपने एलबम के लिए - उनकी ख़ास फरमाइश थी कि शराब पर एक या दो ग़ज़ल मैं लिखूं ज़रूर- तो उन्ही ग़ज़लों में से एक आपकी खिदमत में पेश करता हूँ - देखें शायद क़िस्मत करबट बदल डाले 

क्यों है बदनाम ज़माने में कहो मय यारों
उनकी नज़रों मे - नशा कम तो नहीं है यारों //

हाथ में लेता कोई जाम - जब खुश होता दिल
उनसे मिलने से बड़ी कोई खुशी तो न है यारों //

गम का मारा हो जब कोई - तब है साथ शराब
जब हैं दूर हमसे वह- गम कम तो नहीं है यारों //

लोग कहते हैं कि तन्हाई की दवा है यह शराब
वह तसब्बुर में हों तो तन्हाई कहाँ है यारों //

प्यार जिस दिल ने किया मदहोश सदा रहता है
बंद बोतल में कहाँ मस्ती कहो है तुम यारों //


सबसे पहले मैं समूह के संरक्षक हमारे बड़े भैया श्री महेंद्र सक्सेना जी से क्षमा माँगना चाहूँगा. उन्होने आधुनिक 'जयचंद' पर एक कविता लिखने के लिए मुझे कहा था लेकिन मुझसे देर हो गयी- खैर बड़े भैया बड़े ही उदार और दरियादिल इंसान हैं- मैं उनका ध्यान चाहूँगा इस कविता पर - जो फिल्म हक़ीक़त के गीत 'कर चले हम फिदा' पर आधारित पेरोडी है

कर चले देशको हम नीलाम अहमकों
हम तो हैं ही जयचंद की संतान अहमकों---------
देश तो हो गया आज़ाद पर जनता गुलाम
गोरे साहबों की जगह पाते हैं हम सलाम
हम पनपते रहे - लोग मरते रहे
चैन की बंसी हम तो बजाते रहे
यही तो है तुम्हारा नसीब रे अहमको
हम तो हैं ही जयचंद की संतान अहमकों---------
चाटुकारों की सेना खड़ी हम ने की
जो हमारे ही गुण गान करते रहे
अपने कुनवे को ए 1 कहते रहे
औ शहीदों का अपमान करते रहे
करते रहना हमारा वंदन रे अहमकों
हम तो हैं ही जयचंद की संतान अहमकों---------
है दलाली खाई है सभी डील में
फिर भी दिल पे कोई बोझ रखा नहीं
सारे धन को रखा है स्विस बैंक में
उसकी सोचे देश का कभी सोचा नहीं
तुम फटेहाल ग़रीब क्या यह जानो अहमकों
हम तो हैं ही जयचंद की संतान अहमकों---------
लोगों में डाला फुट और लड़ायाआ उन्हे
हम तमाशा यह बरसोंसे रहे देखते
तुम में अक्‍ल कहाँ यह बताओ ज़रा
छोटी सी बात जो यह तुम कभी समझते
तुम्हरी मौत में अपना जीवन है अहमकों
हम तो हैं ही जयचंद की संतान अहमकों------

अचानक याद आ गया "कश्मीर की कली" का गीत "इशारों इशारों में दिल लेनवालेे" सोचा उस पर एक पेरोडी हो जाए - आप खुश तो हो लें ज़रा पढ़ कर

देश की बलि ( कश्मीर की कली का रीमिक्स)

मीठी मीठी बातें सुना के ओ नेता - हासिल करना वोट तूने सीखा कहाँ से 
खा के धोखा हर बार यकीन हम पे करना अरे ओ मूरख तूने सीखा जहाँ से---
ओ जो तूने हरे नोट दिए - उसी से जी ललचा गया 
पुरानी यादों को भुला - मैं झाँसे में फिर आ गया ,मैं झाँसे में फिर आ गया
यह सब जादू टोना- मुझे "भेड़"बनाना - बता ओ नेता तूने सीखा कहाँ से
खा के धोखा हर बार यकीन हम पे करना अरे ओ मूरख तूने सीखा जहाँ से-----
वो जो देश का सोचें भला - वो लालच में आते नहीं
जीत जाएँगे जब हम चुनाव - करेंगे क्या जानते नहीं; करेंगे क्या जानते नहीं;
बुरी बाला लालच है गुरु ने कहा था - उसे भूलना तूने सीखा कहाँ से
मीठी मीठी बातें सुना के ओ नेता - हासिल करना वोट तूने सीखा कहाँ से-----
हम ने माना ओ नेता प्यारे - लाखों में तुम एक हो
अगर साथ देते ना हम - सोचो कि तुम क्या फिर हो;सोचो कि तुम क्या फिर हो
चलो हाथ मिला लो- मुझे साथ ले लो - करेंगे गुज़ारा जो दे तू दया से ------

मित्रों किसी भी देश की स्थिति को मजबूत करने वहाँ की जनता को खुशहाली देने में उस देश के शासन और प्रशासन की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका होती है . मुट्ठी भर लोगों का सौभाग्य कहें या देश का दुर्भाग्य पर यह एक कड़वा सच है - देश में आम जनता को न्याय मिलना एक सपना ही रहा आज तक - देश की यह स्थिति बड़ी दुखदायी है उन लोगों के लिए जो संवेदनशील हैं.. बस दिल के दर्द को कम करने के लिए कुछ लीक सकते हैं और कुछ नहीं - "भाषण बाज़ नेताओं" पर एक कटाक्ष प्रस्तुत है - कैसा लगा ज़रूर कहिएगा ...

नोट - यह पेरोडी है फिल्म 'घराना' के गीत 'हुस्न वाले तेरा जवाब नहीं' पर आधारित

भाषण वाले तेरा जवाब नहीं - तुझसा पाजी नहीं हज़ारों में
भाषण वाले तेरा जवाब नहीं - तुझसा पाजी नहीं हज़ारों में ------
तेरी आँखों में वह मक्कारी है - लोमड़ी की आँखों में जो न हो
रंग झट से यूँ बदलता है तू - ऐसी तेज़ी तो गिरगिट में न हो
हर घड़ी चेहरा यूँ बदलता है - इतनी हुनर न ही अय्यारों में*
भाषण वाले तेरा जवाब नहीं - तुझसा पाजी नहीं हज़ारों में -------
तुझपे कर के यकीन हम हारे - दिन में दिखला दिए तूने तारे
क्या मिला इनसे तुम कहो यारो - आँसू का तोहफा और गम ढेरों
रब से बस यह दुआ ही करते है - जले न शमा तेरी मज़ारों में
भाषण वाले तेरा जवाब नहीं - तुझसा पाजी नहीं हज़ारों में

* अय्यार - पुराने ज़माने में गुप्तचरों को कहा जाता था
आपकी टिप्पणी मुझे और लिखने का उत्साह देगा


मित्रों- आपको याद होगा एक गीत 'चौदहवीं का चाँद हो या आफताब हो ' आज भी लोकप्रिय है- किसी की सुंदरता का बयान था उस में. आज कल तो सुंदरता की तारीफ में ऐसे गीत लिखनेवाले ही न रहे . तो मैंने सोचा कि चलो असभ्यता- अशलीनता और कमीनेपन की सारी हादे तोड़ने वाले निर्लज और वर्वर नेताओं पर एक पेरोडी लिख ली जाए उसी गीत के आधार पर दिल को हल्का करने के लिए - देखिए शायद आपको भी अच्छा लगे

आँत हो शैतान की - ज़हरीली शराब हो
जो भी हो तुम खुद की क़सम तुम तेज़ाब हो ;
आँत हो शैतान की-------
करते हो ऐसी हरकतें- शरमा जाएँगे जिन्न
भरता नहें है पेट - सभी के हक़ों को छिन
चाहे न देखें जिसको कोई तुम वह ख्वाब हो ;
आँत हो शैतान की-------
करते हो सेंध मारी- बन करके मेहमान
किन किन तरीकों से जाने करते हो परेशान
ज़िंडों का गोश्त नोचे जो रे- तुम वही काग हो
आँत हो शैतान की-----
करते हो इतने ज़ुल्म लेकिन सभी है चूप
कहते खिली है चाँदनी - सर पे कड़ी है धूप
जिसका कटा न माँगे पानी - तुम वह नाग हो
आँत हो शैतान की-----------


मित्रों - यह एक सर्ववीदित सत्य है कि यवन(मुगल) और ईसाई(अँग्रेज़) के शासन में जितना नुकसान इस देश का हुआ उससे कहीं अधिक कांग्रेस ( कान ग्रास) के शासन में हुआ - फिर भी देश में अपने आपको विज्ञानी और प्रबुद्ध कहलाने वाले लोग इन की चाटुकरिता में मगन है आज भी- शायद स्वार्थ इस का कारण है. पर यह बात भी पक्की है 16 मई के बाद यही लोग पाला बदले हुए नज़र आएँगे. और पता है तब कौन सा गीत गाएँगे - लीजिए प्रस्तुत है एक और पेरोडी - मूल गीत फिल्म है ' नया दौर' और गीत है 'माँग के साथ तुम्हारा " तो देखिए अब

दे कर साथ तुम्हारा -
मैने देश पे किया अत्याचार
दे कर साथ तुम्हारा--------
तुम पे क्यों ऐतबार किया
खुद का ही बंटाधार किया (2)
कैसा मैंने यह पाप किया
खुद को भी न माफ़ किया
ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
अक्ल पे मेरा पड़ा क्यों पत्थर
किस को दिखाऊँ काला मुँह जा कर
मारो मुझे जूते हज़ार आ हा हा हा
दे कर साथ तुम्हारा-------
मीठी बातें सुन फँस गया
हर कोई मुझ पे हँस रहा (2)
अपने पे न तो बस रहा
मेरा ज़मीर मुझे डस रहा
ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
कैसे सुधारूं मैं पाप को अपना
अपना लो समझो न बेगाना
हँसे फिर मेरा घरबार आ हा हा हा
दे कर साथ तुम्हारा------
दे कर साथ तुम्हारा -
मैने देश पे किया अत्याचार
दे कर साथ तुम्हारा--------



मित्रों पेरोडी लिखना अपना काम है - किस पर लिखा है - क्यों लिखा है यह जानना और समझना आप का काम - देखिए यह पेरोडी - छलिया के हिट गीत पर आधारित

डम डम डिगा डिगा 
माँ संग बेटा भागा 
यह ग़ज़ब कैसे हुआ -कैसे हुआ-कैसे हुआ
कहो तो भला 
मुँह झूठे का होता है काला - जान लो लाला
मुँह झूठे का होता है काला---------------
बड़ी बड़ी बातें जो करते हैं - हे रे करते हैं 
आहें ठंडी एक दिन तो भरते हैं- वह भरते हैं
सर मगरूर का नीचा - बड़ों से हमने सीखा
माँ बेटे ने कहाँ सीखा भला ;जान लो लाला
मुँह झूठे का होता है काला---------------
कब तक मनाती खैर बकरे की माँ- यह बकरे की माँ
चाँदनी रातें सदा रहती कहाँ - रहती कहाँ
ज़ुल्म अब तक जो किए - सामने अब हैं आए
लाल बत्ती अब नसीब का जला ,जान लो लाला
मुँह झूठे का होता है काला---------------

समझना या न समझना आपके हाथ अब
मित्रों - सुना है भा ज पा वालों ने कोई सी डी निकाली है दामाद पर - पर भैया संगीत जो कम करता है उसकी बात ही कुछ और है. तो हुँने सोचा चलो इसि प्रसंग पर भी एक पेरोडी हो जाए - फिल्म संघर्ष याद है न दिलीप कुमार पर एक गीत था जिसके बोल कुछ ऐसे थे

दिल पाया अलबेला मैंने तबीयत मेरी रंगीली
आज खुशी मैं मैने भैया थोड़ी से भंग पी ली
मेरे पैरों में घुंघरू बँधा दे तो फिर मेरी चाल देख ले
मोहे लाली चुनरिया ओढ़ा दे तो फिर मेरी चल देख ले

तो इसी पर पेश है 'दामाद श्री' पर पेरोडी - काश भा ज पा वाले पहले से चौकन्ने होते

सास मिली अलबेली मुझ को - बीवी मेरी रंगीली
इनके बदौलत ए नादानों मैने मुल्क को है लूट ली
बिन घूँघरू के चाल मेरी देखो- दामाद श्री मैं चमचों का
मेरी दौलत को ऐसे मत देखो -दामाद श्री मैं चमचों का------ (1)

मुझ सा नसीब यहाँ क्सिका बोलो- रातों रात उगी लंबी दाढ़ी
सारे देश में एक मैं खिलाड़ी - बाकी जो हैं सब तो अनाड़ी
सच है कहा --
ज़ीरो से मैं तो बन गया हीरो- रह गये सारे मुँह ताकते (2)
करूँ चोरी उपर से सीनाज़ोरी - दामाद श्री मैं चमचों
मेरी दौलत को ऐसे मत देखो -दामाद श्री मैं चमचों का------ (2)

भोन्दू साला एक है मेरा - जो न कोई काज का न काम का
इसलिए अपनी मस्ती यारों- माहौल सुबह का हो या शाम का
क्या शाम मस्तानी--
बीवी भी मेरी काइयाँ पक्की- हरदम जो साथ मेरा देती(2)
सेक्यूरिटी भी हाथ न लगाए मोहे ,दामाद श्री मैं चमचों का
मेरी दौलत को ऐसे मत देखो -दामाद श्री मैं चमचों का------ (3)

डी से है दौलत ,एल से हुआ लैंड, एफ से फाइनेंस बनता
सब को मिलाया बना डी.एल.एफ जिससे क़ायम अपना रुतवा
वाह री क़िस्मत--
सारे जुर्म तो माफ़ मुझे हैं- क़ानून मेरा क्या बिगाड़े (2)
सास बीवी तो मुट्ठी में मेरी , दामाद श्री मैं चमचों का
मेरी दौलत को ऐसे मत देखो -दामाद श्री मैं चमचों का------ (4)

जब हम बच्चे थे बहुतों ने हमें कहा था यह तो मेरे बेटे जैसा है - आज जब हम बुजुर्ग हैं तब हम बहुतों को अपने बच्चे जैसा मानते हैं- न पहले हमने बुरा माना था न अब यह बच्चे बुरा मानते हैं- पर देश में एक अकेली नमूना निकली जिसे किसी ने बेटी जैसी कहा तो उसे बुरा लगा इतना कि बिदक गयी -- तो उसी पर एक पेरोडी हो जाए आज - मूल गीत फिल्म जंगली का ' कश्मीर की कली हूँ मैं' देखिए शायद आपको पसंद आ जाए

अपने बाप के बेटी हूँ - मुझे बेटी जैसी न कहना जी
बात सुन ले दुनिया सारी बदनामी बड़ी होगी - बड़ी होगी ......

वैसे तो बदनाम अपना कुनवा- बात यह तो जग ज़ाहिर है
बात का बतंगड़ बनाने में भई यहाँ ज़माना तो माहिर है
अपने बाप के बेटी हूँ - मुझे बेटी जैसी न कहना जी
बात सुन ले दुनिया सारी बदनामी बड़ी होगी - बड़ी होगी ......

ट्रे में उठा कर जाम कॅनटीन में फिरती थी महिला जो
आज हैसियत उसकी इतनी ऊँगले पे सबको नचाती वो
अपने बाप के बेटी हूँ - मुझे बेटी जैसी न कहना जी
बात सुन ले दुनिया सारी बदनामी बड़ी होगी - बड़ी होगी ......

क्या क्या जतन किए थे उसने देश छोड़ा घर द्वार छोड़ा
बेटी जैसी कह के मुझ को मारो न मेरे क़िस्मत पे कोड़ा
अपने बाप के बेटी हूँ - मुझे बेटी जैसी न कहना जी
बात सुन ले दुनिया सारी बदनामी बड़ी होगी - बड़ी होगी ......

अपनी बपौती समझ देश को दोनों हाथों से इसे खूब लूटा
खाने तो दो हमें मलाई बिल्ली के भाग में हैं छींका टूटा
अपने बाप के बेटी हूँ - मुझे बेटी जैसी न कहना जी
बात सुन ले दुनिया सारी बदनामी बड़ी होगी - बड़ी होगी ......
एक फिल्म आई थी 'सागिना' - उसका एक गीत बड़ा हिट हुआ था 'सला मैं तो साहब बन गया ' - यह रहा उसका अद्यतन संस्करण - किस पर है आप खुद समझ लीजिए 

साला मैं तो दूल्हा बन गया 
पराई औरत ले कर आ गया 
यह गन्जी खोपड़ी देखो
यह टूटे दाँत देखो 
जवानों को भी मात दे गया -----
वाह रे डॉगी -- वाह रे डॉगी --
सेकंड हॅंड ला कैसे कूदे फांदे 
ऐसे अकड़ता नामुराद यह
जैसे विग पहनते हैं गंजे ..
तुम क्या जानो ओ संस्कारी
मज़ा जो छिन के खाने का
सत्य धर्म की बात न सूनाओ
वह तो देता दिल को धोखा
अमृत खा के मैं तो फिट हुआ , साला मैं तो दूल्हा बन गया ----
हा हा हा हा हा हा हा
कंफ्यूसियस ने क्या कहा था
तुझको याद नहीं क्या
बुढ़ापे में किताब जो खरीदे
उसे और कोई है पढ़ता
जो किताब मैंने है खरीदी
मैं पढ़ूँ या कोई और दूजा
तेरा काम यहाँ नहीं तो
पोथि पढ़ कर पूजा
तेरे बाप का बोल रे क्या गया , साला मैं तो दूल्हा बन गया ---
rनया दौर फिल्म का एक लोक प्रिय गीत था 'मैं बंबई का बाबू नाम मेरा अंजाना " उसी का आधुनिक संस्करण देखिए

मैं भारत का नेता - जानूं जादू दिखाना
जोड़तोड़ करके ही सही- सत्ता हासिल करना 
मैं भारत का नेता ------
गद्दी यहाँ है उसकी जो दौलत से खेले 
साम दाम और दंड भेद फट से जो अपना ले (2)
सीखो अजी सीखो तुम मक्कारी करना 
मैं भारत का नेता -------
इसको उससे लड़ा दूँ उसको लड़ा दूँ इससे
नेता हम कहलाएँ इन बेवक़ूफो के दम से
जनता है मूरख बस हम तो हैं सियाना
मैं भारत का नेता--------
चमचे मेरी हैं ताक़त चमचे मेरी हैं क़िस्मत
साथ में जो हों चमचे दूर रहेगी हर आफ़त
चमचो को यारों नाराज़ न तुम करना
मैं भारत का नेता---------
सब्ज़ बाग दिखलाओ वादों के फूल खिलाओ
ऐसा जो कर पाओ तभी नेता सफल कहाओ
कुर्सी से चिपको तो न कभी उतरना
मैं भारत का नेता----------