मित्रों किसी भी देश की स्थिति को मजबूत करने वहाँ की जनता को खुशहाली देने में उस देश के शासन और प्रशासन की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका होती है . मुट्ठी भर लोगों का सौभाग्य कहें या देश का दुर्भाग्य पर यह एक कड़वा सच है - देश में आम जनता को न्याय मिलना एक सपना ही रहा आज तक - देश की यह स्थिति बड़ी दुखदायी है उन लोगों के लिए जो संवेदनशील हैं.. बस दिल के दर्द को कम करने के लिए कुछ लीक सकते हैं और कुछ नहीं - "भाषण बाज़ नेताओं" पर एक कटाक्ष प्रस्तुत है - कैसा लगा ज़रूर कहिएगा ...
नोट - यह पेरोडी है फिल्म 'घराना' के गीत 'हुस्न वाले तेरा जवाब नहीं' पर आधारित
भाषण वाले तेरा जवाब नहीं - तुझसा पाजी नहीं हज़ारों में
भाषण वाले तेरा जवाब नहीं - तुझसा पाजी नहीं हज़ारों में ------
तेरी आँखों में वह मक्कारी है - लोमड़ी की आँखों में जो न हो
रंग झट से यूँ बदलता है तू - ऐसी तेज़ी तो गिरगिट में न हो
हर घड़ी चेहरा यूँ बदलता है - इतनी हुनर न ही अय्यारों में*
भाषण वाले तेरा जवाब नहीं - तुझसा पाजी नहीं हज़ारों में -------
तुझपे कर के यकीन हम हारे - दिन में दिखला दिए तूने तारे
क्या मिला इनसे तुम कहो यारो - आँसू का तोहफा और गम ढेरों
रब से बस यह दुआ ही करते है - जले न शमा तेरी मज़ारों में
भाषण वाले तेरा जवाब नहीं - तुझसा पाजी नहीं हज़ारों में
* अय्यार - पुराने ज़माने में गुप्तचरों को कहा जाता था
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