आंसूओं की एक लड़ी पीरो दी हमने उनकी याद में
"देव" सा कोई पहले भी न था न होगा कोई बाद में //
रूमानियत को खूब जिया देव साहब ने परदे पर
अफ़साने जो लिखे उन्होंने कहाँ होगा किताब में //
एक अदा पर उनके यारों लाखों मर मिट जाते थे
उनमें जो कशिश देखी , देखी न हमने गुलाब में//
दूर तो एक दिन जाना था, कौन यहाँ रुका है भला
जिंदा पर रहेंगा सदा "वह" हम जैसों की याद में //
उदयन सूपकार "कुंदन"
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