Thursday, December 15, 2011

एक और प्रस्तुति देश की हालत पर / इस गीत का आधार है फिल्म "अराऊंड द वर्ल्ड" का गीत जोशी जवानी हाय रे हाय /
इस गीत का अनुरोध आदरणीय सतीश मुद्गल जी ने किया था/ इस हेतु यह गीत उन्हीको भेंट किया गया /

देश की हालत हाय रे हाय
देख के हम को रोना आये
न कोई कानून न कोई कायदा
क्या हो यह कोई बताये ,-------------
सुना थे हमने , यह बचपन में
देश की गौरव गाथा
हुए बड़े जब , देखा यह तब
हमसे हुआ है धोखा ,देश की -----------------
कैसी आजादी सरकार कैसी
जंगल का कानून हावी
बाजू में ताक़त, जेब में दौलत
ताले की अब है चाबी , देश की हालत--------------
आदमी हैं जो फिरते हैं कितने
इंसान कम ही मिले
लाशों पे चढ़ कर देखा सबको
करते हैं "बल्ले बल्ले ", देश की हालत -----------------
नींद से उठो, जागो अब तो
पानी है सर से ऊपर
आओ सुधारें देश को अपने
हम सब रे मिल कर , देश की हालत ---------------

एक कविता आज के लिए / आप इसे नसीहत भी समझ सकते हैं या फिर चेतावनी भी (मामा के लिए भांजे द्वारा)
गीत का मूल आधार है फिल्म "जानवर" का गीत "मेरी मोहब्बत जवान रहेगी"

तेरी हुकुमत कब तक रहेगी
जल्द ही तेरी नैय्या डूबेगी
आहें हमारे तुझे लगेगी
जल्द ही तेरी नैय्या डूबेगी -------
न तुझसा घटिया है नेता कोई ओ ....
जिसने अपनी साख गंवाई
लूटी इज्ज़त फिर से न मिलेगी
जल्द ही तेरी नैय्या डूबेगी ---------
उसीके आगे झुका हुआ तू
पीती रही जो हमारी लहू
बुरी की संगत बुरी ही होगी
जल्द ही तेरी नैय्या डूबेगी ---------------
जगा ले अपने ज़मीर को अब
जाने जहाँ से जाएगा उठ कब
बन भला याद बनी रहेगी
वर्ना तेरी तो नैय्या डूबेगी -----------

EK SHRADDHANJALI DEV ANANAD JEE KO

आंसूओं की एक लड़ी पीरो दी हमने उनकी याद में
"देव" सा कोई पहले भी न था न होगा कोई बाद में //
रूमानियत को खूब जिया देव साहब ने परदे पर
अफ़साने जो लिखे उन्होंने कहाँ होगा किताब में //
एक अदा पर उनके यारों लाखों मर मिट जाते थे
उनमें जो कशिश देखी , देखी न हमने गुलाब में//
दूर तो एक दिन जाना था, कौन यहाँ रुका है भला
जिंदा पर रहेंगा सदा "वह" हम जैसों की याद में //

उदयन सूपकार "कुंदन"
खंजर बना है कानून, काटे है हमारी गर्दन
बेख़ौफ़ हो के मुजरिम, करते हैं देखो नर्तन //
रोटी को तरसे जनता, और दावत उड़ायें गुण्डे
साधू जनों को देखो रे मलते हैं जूठे वर्तन //
प्रभु नाम को बिसारा, मस्ती में खोये हैं सब
शैतानों के नाम का सब कर रहे हैं कीर्तन //
हद पार कर गयी है, इन पापियों की करतूत
इनको सबक सीखाने आ जाओ हे जनार्दन //
ग़लती की सीमा तुमने तय की थी सौ तक
शिशुपालों को हटाओं चला दो अब सुदर्शन //
घुटने लगा है दम अब. साँसे उखड रही है
मेरे देश को बचालो, माँगता है यही "कुंदन"//

Wednesday, December 14, 2011

ऐसे होता है विकास का विनाश

चार मित्र थे एक ही गाँव के रहने वाले / एक साथ बढे और पढ़े / चारों की विचारधारा भी क जैसी ही थी / हरित क्रांति को मूर्त्त रूप देने के लिए उन्होंने कृषि विज्ञानं का अध्ययन किया और स्नातक भी बने / उसके बाद प्रारंभ हो गया बदनसीबी का दौर / जगह जगह मारे मारे फिरे , नौकरी सरकारी या गैर सरकारी कहीं भी न मिली / एक आध एन जी ओ में जा कर कुछ समय काम किया तो देखा कि वहाँ उनके ज्ञान और भावनाओं का दोहन करने वाले जाने कब से उनका इंतज़ार कर रहे थे / अपनी योजनाओं को साकार करने वह बैंकों में भी गये ऋण के लिए पर वहाँ भी निराशा हाथ लगी /

आखिर थक हार कर उन्होंने अपने ही बल बूते पर कुछ करना तय किया / गाँव लौटे , चारों ने अपनी ज़मीन को मिला कर एक फार्म का शक्ल दे डाला और एक सहकारिता समिती बना कर वहाँ फल, फूल , औषधीय वृक्ष- लता और बड़े बड़े पेड़ लगाया / गाँव में बेकार घूम रहे युवकों को समझा बुझा कर अपने साथ कर लिया और ४ - ५ सालों में सफलता के शिखर छूने लगे सब / गाँव के एक छूट -भैय्या नेता को यह सब अखरा और उसने योजना बनाई समिती को हथियाने की / उसने मित्रों को कहा , बेटे एक काम करो राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री को निमंत्रण दे कर एक समारोह का आयोजन कर डालो, फिर देखना कैसा चमत्कार होता है /

इन लोगों ने बात मान ली नेता की, मंत्री आया , फार्म देखा, बड़ी तारीफ की / मंत्री ने कहा इस गाँव के विकास के लिए मैं इस फार्म को राष्ट्रीयकृत करने की घोषणा करता हूँ , सभी ने ताली बजाई / कुछ ही दिनों सरकारी खानापूरी हो गयी, चारों मित्रों को नाम भर के लिए कुछ मुआवजा दिया गया और २ / ३ महीने के बाद फार्म के फाटक पर एक बड़ा सा ताला लगा हुआ दिखा / गाँव के बेकार घूम रहे युवक फिर अपनी पुराने जीवन पथ पर लौट गए और चारों साथी फिर से जीवन संघर्ष में रत हो गए

कुछ समय बाद देखा गया कि फार्म हाउस के सारे पेड़ों को काट कर शहर के एक लकड़ी के व्यापारी को बेच दिया गया है और वहाँ एक होलीडे रेसोर्ट सर उठाये खड़ा है जिसका मालिक खुद मंत्री था / इधर गाँव के उसे नेता ने भी अपना पुश्तैनी घर को तुडवा कर वहाँ एक भव्य ईमारत बना ली थी , कैसे यह बताने की ज़रुरत नहीं /

चारों मित्र गाँव लौटे एक बार तो नेता मिल गया और पूछा कैसे हो बेटे ? सभी ने कहा एक स्वर में आपके चमत्कार के बाद और कैसे हो सकते हैं यह जानते नहीं क्या ?

क्या यह आपको असंभव लग रहा है ?
फिल्म - सोलवां साल - गीत - यही तो है वह

यही तो है वह यही तो है (२)
देखिये देखिये ग़ौर से फिर देखिये
यही तो है वह यही तो है ,-----
सुना होगा आपने नानी से कहानी में
मर्द को भेड़ बना दिया एक जादूगरनी ने
जादूगरनी आयी है फिर नया चेहरा लिए , यही तो है वह यही तो है
फिल्मों का वह दृश्य तो होगा तुम्हे याद भी
सबसे भोली सूरत वाला निकलता है खूनी ही
होशियार खबरदार सूरत पे न जाइए, यही तो है वह यही तो है
तुम इसे कह लो हंसी पर यह सहे बात है
साथ इसके जो भी रहा "यम" का उसपे घात है
और मैं क्या कहूं खुद ही समझ लीजिये , यही तो है वह यही तो है
बात है यह देश की, तेरी मेरी है नहीं
फ़िक्र न हो देश की जिसको इंसान वह है नहीं
कौन गद्दार है अब तो यह जान जाइए , यही तो है वह यही तो है
थोडा सा ( हंसने के बहाने ) रो लिया जाए

एक फिल्म आयी थे मेरे महबूब , उसका एक गीत "मेरे महबूब तुझे मेरी मोहब्बत की क़सम "बहुत लोकप्रिय हुआ था और उसका जादू आज तक वैसा ही छाया हुआ है / आज संसद पर हमले की दशक पूर्ति पर एक पेरोडी लिख रहा हूँ बड़े दिनों बाद बहुत ही भारी ह्रदय के साथ / आशा है आपकी प्रतिक्रिया प्राप्त होगी इस पर . //

अफज़ल प्यारे तुझे मेरी इस कुर्सी की क़सम
फिर मुझे बन्दूक और गोली का सहारा दे दे
मुझको सत्ता पे टिके रहने में सहारा दे दे , मेरे अफज़ल प्यारे ---
ऐ मेरे हमसफ़र तुम भाई से भी बढ़ कर हो मेरे
भूल जाता ज़माना सामने जो तू होता मेरे
तेरे दर्शन के बिना चैन तो मिलता ही नहीं
पानी भी मेरी हलक से तो उतरता ही नहीं
बड़ा बेचैन हूँ तू मुझको सहारा दे दे , मुझको सता पे ------
भूल सकती नहें आखें वह सुहाना मंज़र
जब तेरी गोलियां संसद से आ टकराई थी
हम तो बेफिक्र हो बैठे थे जा कर भीतर
चीख जो गूंजी थी हम को न सुनायी दी थी
वैसी चीखों से तो फिर देश का दहला रे दे , मुझको सता पे ---
कैसे खुदगर्ज़ हैं तो देख रे यह लोग तमाम
पड़े हैं तेरे पीछे और न है दूजा कोई काम
कहते हैं फाँसी चढाओ इसे हम चाहते है
तेरी अहमियत को यह मूर्ख कहाँ जानते हैं
अपनी दुआ का ज़रा मुझको सहारा दे दे , मुझको सत्ता पे ---