Wednesday, December 3, 2014



एक काल्पनिक कथा ( लेकिन सत्य पर आधारित)
वार्षिक परीक्षा समाप्त हो गयी - रात को नेता जी ने बेटे से पूछा- क्यों बेटे पर्चे कैसे हुए ?
बेटे ने कहा हूँ तो आपका ही बेटा - ऐसे जवाब दिए कि सबकी छुट्टी हो जाएगी .
परीक्षा का परिणाम आया- बेटा सफलता पूर्वक असफल हुआ था- नेता जी का पारा चढ़ गया सीधे जा पहुँचे स्कूल में- प्रधानाचार्य से कहा बेटा बोल रहा था उसने बढ़िया जवाब दिया है तो फिर फेल कैसे ह्वा ?
प्रधानाचार्य ने उत्तर पुस्तिका माँगा कर दिखा दिए नेता को - बेटे ने हर पन्ने पर लिखा था " राष्ट्र हित को ध्यान में रखते हुए इस प्रश्न का उत्तर दिया नहीं जा सकता "
जैसा बाप वैसा ही बेटा - क्यों सही कहा न ?
याद कीजिए हर बार विरोधी कहते हैं सरकार ने फलाना किया ढिकाना किया - हम सत्ता में आते ही सब की पोल खोल देंगे और सब को जेल में डाल देंगे - पर होता कुछ नहीं- वही राष्ट्र हित की बात और जवाब कुछ नहीं .. हा हा हा

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