Thursday, December 25, 2014

मित्रों हर क्षेत्र में अपवाद तो होते ही हैं - पर मेरा अनुभव यह बताता है कि आज देश में एक ईमानदार नेता निकालना "भूसे की ढेर में सुई खोजना" जैसा ही काम है- बस इसी बात पर एक 'पेरोडी' डाल रहा हूँ- मूल गीत है फिल्म 'प्यासा' से 'जाने वह कैसे लोग थे"
जाने वह कैसे लोग थे जिनको सब पॉवर मिला
हमने तो जब नेता चुने धोखा हर बार मिला , जाने वह कैसे लोग थे----
साधु जैसा ढूँढा कोई तो बस जल्लाद मिला 
पहले फूल सा लगता जो था वह फौलाद निकला
हमरे भरोसे और यक़ीन का कैसा दिया सिला
हमने तो जब नेता चुने धोखा हर बार मिला , जाने वह कैसे लोग थे----
बिछड़ गया (2) हर नेता हम से ज्यों ही चुनाव ख़तम
कहने लगा कि खेल ख़तम और पैसा हुआ हजम
साठ साल से चलता आया अजब यह तो सिलसिला
हमने तो जब नेता चुने धोखा हर बार मिला , जाने वह कैसे लोग थे----
किस पे यक़ीन करें साथ किसका दें समझ से है यह परेे
अब तो आलम यह कि है जनता चुनाव के नाम से डरे
चुनाव के नाम पर चूना ही लगता बस यही है गिला
हमने तो जब नेता चुने धोखा हर बार मिला , जाने वह कैसे लोग थे----
बोल रे मालिक बदलेगी कब देश की यह तक़दीर
कब तक फ्रेम वही तो रहेगा बदलेगी बस तस्वीर
कर कृपा हम अधमों पर अब मुक्ति इन से तो दिला
हमने तो जब नेता चुने धोखा हर बार मिला , जाने वह कैसे लोग थे----

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