Wednesday, December 3, 2014



2 पंक्तियाँ उनके लिए - जिन्हे मुस्कराने पर बुखार चढ़ आता है
फ़ुर्सत निकल यार मेरे - 2 पल के लिए मुस्करा तो ले
लोग कहीं न समझ बैठे रे तेरे दाँत हो गये मटमैले //
डेबिट- क्रेडिट कार्ड से तू क्या क्या तो खर्च करता है 
मुस्कराने पर समय कर खर्च पड़ेंगे न पैसे या धेले //
मुस्कराहट वह जींस है जो हर दुकान पर चलता ही है
एक मधुर मुस्कान से सलटते देखा कितने ही झमेले //
मुस्कान से एक लाभ यह है दिल सब का तू जीतेगा
हँसमुख गुरु को ही तो मानते है दुनिया में उसके चेले//
'कुंदन' को जो कहना था उसने तुझे है रे बता दिया
जो मुस्काये न जग में रह जाता अक्सर यहाँ अकेले//
देख लो भाई अगर ग़लत कहा तो बोलो

No comments:

Post a Comment