Tuesday, December 23, 2014

देश में हर कोई किसी न किसी प्रलोभन का शिकार हो कर अपना वोट बेच देता है 5 साल में एक बार- यह एक अटल सत्य है- और फिर सरकार और नेता को गाली देता है- जनता याने वोटर पर एक रचना देखिए
दारू दे जाता है दगा
मुर्गा मारता बुद्धि को //
कंबल कब्र समान है 
समझाए कौन मूर्खों को//
तेरी जेबें काट के ही
यह खैरात देते हैं तुझे //
अकल तेरी गिरवी रखी
कौन समझाए अब तुझे//
तेरा ही घर जलके यह
बोटी आग पे सेंकते हैं //
तेरी तरफ यह पापी जन
सूखी रोटी ही फेंकते हैं//
5साल तक भविष्य अपना
तू ख़ुदग़र्ज़ को सौंपता है //
और फिर नादान वोटर तू
क़िस्मत पे अपनी रोता है//

No comments:

Post a Comment