Tuesday, December 23, 2014

देश में राजनीतिक परिदृश्य की चिंताजनक स्थिति पर बहुत बातें होती रहती है और नेता भी कहते हैं अच्छे और योग्य नौजवानों को राजनीति में आना चाहिए - पर यहाँ राजनीति में आने के लिए 2 योग्यता आवश्यक है- एक तगड़ा माल हो खर्चा करने के लिए ताकि उसका कई गुना वापस कमाया जा सके और दूसरा कोई प्रतिष्ठित नेता का रिश्तेदार हों आप - अपने प्रारंभिक यौवन में हम में भी बड़ा जोश था पर जो हुआ हमारे साथ उसी आपबीती पर प्रस्तुत है यह पेरोडी- मूल गीत है फिल्म 'गुनाहों का देवता' से ' चाहा था बनूँ प्यार की राहों का देवता" देखिए कैसा लगता है आपको
चाहा था बनूँ देश का एक अच्छा सा नेता
पर क्या करूँ तक़दीर ने ही दे दिया धोखा -----
जो हाल देखा देश का तो रोने लगा दिल
कर गुजरूंगा मैं भी कुछ यही ठान लिया दिल
पर दिल की कोई पूछ न मैं जानता न था
दौलत हो जिसके साथ बस एक वही चोखा
पर क्या करूँ तक़दीर ने ही दे दिया धोखा -----
नेताओं से मैं जा मिला पर बात न बनी
बातें बनाई सबने मीठी जैसे की हो चीनी
बोले सभी कि देते रहेंगे तुमको बढ़ावा
पर हुआ न कुछ भी मैं न था नेता का बेटा
पर क्या करूँ तक़दीर ने ही दे दिया धोखा -----
सेवा के नाम ले के होती है तो तिज़ारतें
ईमान क्या उसूल क्या सब कहने की बातें
हाथी के दाँत खाने दिखाने के हैं जुदा
नेता न बन सकूँगा यह अब चल गया पता
पर क्या करूँ तक़दीर ने ही दे दिया धोखा -----

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