एक कहानी याद आ गयी बचपन में पढ़ी हुई
एक साधु बाबा नदी से स्नान करके लौट रहे थे उन्हे एक नन्ही चुहिया मिली रास्ते में घायल- उन्हे दया आ गयी उस पर और उसे फिर से कोई कष्ट न हो सोच कर उसे एक लड़की का रूप दे दिया मंत्र से. लड़की जब सयानी हो गयी विवाह के लिए वर की चिंता हुई .लड़की ने कहा मुझे सबसे अधिक शक्तिमान वर चाहिए . साधु ने सोचा जिस सूर्य देवता से हम सब को शक्ति मिलती है वही योग्य वर होंगे - परंतु सूर्य देव ने कहा मुझे तो बादल ढक लेता है आप बादल के पास जाएँ - बादल ने कहा मुझे तो पर्बत रोक लेता है आप उसके पास जाएँ- पर्बत ने कहा एक चूहा तो मुझे खोद कर बिल बना लेता है आप चूहे के पास जाएँ- अंततः चूहिया की शादी चूहे से हुई
इस कहानी से नेताओं को कभी कोई सीख मिली नहीं लगता है - जनता ही साधु बाबा है जिसने उसे शक्ति दी- परंतु अपनी असलियत भुला कर कुर्सी पाते ही यह नेता हवा में उड़ने लगते है और एक दिन धड़ाम से गिरते हैं ज़मीन पर--
आप याद कीजिए कई ऐसे नेता रहे जो कभी 'महापुरुष' कहलाए पर बाद में लोगों को याद भी नहीं रहा वो जीवित भी हैं या नहीं
कुछ हज़ार नेता अगर अपनी औकात में रहें तो कई करोड़ लोग सुखी हो जाएँ
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