Wednesday, December 3, 2014


एक प्रेरक कथा


बड़ा उदास मन से बैठा था वह- मैने जब उसके घर जा कर देखा तो मुझे बड़ा अजीब लगा- हमेशा खुश रहने वाला मेरा दोस्त आज इतना बुझा हुआ सा क्यों है ? बार बार आग्रह करने पर उसने आख़िर बता ही दिया कि ऑफीस में साहब ने बड़ी डाँट पिलाई उसे सबके सामने और जवाब में कुच्छ भी नहीं कह पाने के कारण उसे अंदर ही अंदर घुटन हो रही है ..
मैने उससे कहा बस इतनी सी बात- अरे दोस्त कब काम आएँगे ? चल मैं इलाज बताता हूँ इसका - उसे अपनी गाड़ी में बिठा कर मैं उसे उसके बॉस के घर के पास ले गया - फिर कहा देख तेरी क़िस्मत अच्छी है- सामने की स्ट्रीट लाइट जल नहीं रही है- ऐसा कर सामने जो नाली हैं न वहाँ से कीचड़ उठा कर ला- और उसे फेंक दे तीर बॉस के बंगले की दीवार पर- सुबह जब देखेगा तब बच्चू को पता चलेगा दूसरों की बेइज़्ज़ती का नतीजा क्या होता है
उसने मुझे देखा हैरानी से और कहा पर कीचड़ से मेरे हाथ गंदे नहीं हो जाएँगे क्या ? मैने कहा अक्ल के दुश्मन - हाथ गंदे होने की फ़िक्र है तुझे जो ढोने पर सॉफ हो सकते हैं- पर बेकार की बात सोच कर अपना दिल और दिमाग़ दोनों को गंदा कर रहा है यह पता नहीं तुझे .अरे उसने तुझे डांटा तो यह उसकी बेवक़ूफी ही है जो अहंकार का एक बाइ प्रोडक्ट होता है - तू तो जानता है न तू क्या है- अगर तेरा मन साफ है तो मार गोली ऐसी बातों को
उसने मुझे गले लगा लिया और कहा सच यार दोस्त सबसे अनमोल तोहफा होता है

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