Tuesday, December 23, 2014

एक कड़वा सच
छुटपन से सिखाते रहे बेटे को
बेटा ध्यान लगा कर पढ़ा कर //1
खाएगा क्या कभी सोचा तू ने 
बिन पढ़े यहाँ रे तू बड़ा हो कर //2
पैसा ही सब कुछ है अब यहाँ
दौलत के बिना यहाँ कुछ नहीं//3
जेबें जिसकी खाली होती यहाँ
उसकी तो होती कोई पूछ नहीं//4
अच्छा कमाएगा जो तू बेटा
होंगे तेरे पास बंगला और गाड़ी//5
शान तेरी बढ़ जाएगी सोच ज़रा
जो पहने बीवी तेरी कीमती साड़ी//6
हमने जो बीज बोया उसके मन
वही अब महाद्रूम बन खड़ा हुआ //7
फ़ुर्सत बेटेके पास बिल्कुल नहीं
बस दौलत के पीछे है पड़ा हुआ //8
माता पिता जिये है या हैं मरे
सोचे न बेटा क्यों कि व्यस्त है//9
सब कुछ तो दौलत खरीद सके
दौलत कमाने में वह मस्त है //10
दो बोल रे उसके प्यार के हाय
सुनने के लिए अब तरसते हैं//11
सूने कमरे में बैठ कर अब तो
दीवारों से हम सर टकराते हैं //12
काश स्वार्थ का ज़हरीला बीज
नन्हे से मन में हम नहीं बोते //13
बेटे के संग अब हम हंसते रहते
तक़दीर पे यूँ हम तो नहीं रोते //14
ईश्वर की बड़ी कृपा है मुझ पर मेरा कोई बेटा नहीं- बस एक ही बेटी है जो हमारा भरपूर ख़याल रखती है

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