Wednesday, December 3, 2014




आप सब जानते ही हैं 'समय की कमी' और 'व्यस्तता' पर चुटकी लेना मेरा अब अभ्यास बन गया है- तो जाते जाते एक चुटकुला उसी पर
रैलवे स्टेशन में फोन की घंटी बजने लगी स्टेशन मास्टर की- उन्होने उठाया- आगे क्या हुआ देखिए
स्टेंशन मास्टर- हेलो- कौन साहब बोल रहे है ?
व्यस्त नागरिक- जी आप मुझे नहीं जानते शायद
स्टेशन मास्टर- तो फोन किस लिए किया 
व्यस्त नागरिक - जी आपसे एक मदद चाहिए
स्टेशन मास्टर - कहिए अगर संभव हुआ तो करूँगा ज़रूर
व्यस्त नागरिक - जी बात यह है मैंने दिल्ली जाने का टिकेट ले रखा है
स्टेशन मास्टर - तो मैं क्या करूँ ?
व्यस्त नागरिक - मैं बहुत व्यस्त हूँ - स्टेशन तक जाने के लिए समय नही मेरे पास
स्टेशन मास्टर - आप सीधे सीधे बताइए चाहते क्या है ?
व्यस्त नागरिक - अगर ट्रेन मेरे घर के सामने से ले जाएँ तो बड़ी मेहेरबानी होगी
स्टेशन मास्टर - क्यों नहीं- क्यों नहीं- आप जैसे महान पुरुषों की सेवा के लिए ही तो हम बैठे हैं यहाँ - एक काम कीजिए अपने घर तक रेल लाइन बिछा दीजिए- तो मैं ज़रूर आपकी बात रख लूँगा
कल्पना है पर इस तरह के लोग होते भी हैं दुनिया में ( अनुभव है मुझे ऐसे लोगों का )

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