मैंने कल वादा किया था की मैं अब यही प्रयास करूंगा कि मेरे मामा में अक्ल न होने के कारण वह किसी और अक्ल के हिसाब से ही सारा काम करते हैं, इस बात को प्रमाणित करूँ / तो आज की कथा सुनिए और सुबह सुबह हँसी के साथ अपना दिन शुरू कीजिये /
हुआ ऐसा कि कल मामा हमारे शहर में आये थे आप सभी जानते हैं /किसी तरह एक आदमी उन तक पहुँच गया और कहा जी आपसे एक सवाल करने आया हूँ आप उसका जवाब देने कि कृपा करें तो मैं चला जाऊंगा/ मामा को जाने क्या सुझा कहा , ठीक है पूछो / आदमी ने कहा लोग कहते हैं आप किसी और के कहने पर ही अपना सारा काम करते हो , आपके खुद की अक्ल नहीं है क्या ? मने कहा अक्ल तो है भाई चाहो तो इन्तेहान ले लो / तो सुनिए दोनों में क्या बातें हुयी
आदमी - मेरे घर पर ३ लोग हैं, एक मेरी पत्नी, दूसरा मेरा बच्चा, तो बताइए तीसरा कौन है ?
मामा - (बहुत दे तक सोचते रहे और कहा) माफ़ करना भाई, पहली बात तो मैं तुम्हे जानता नहीं , उपरसे मैं कभी तुम्हारे घर गया ही नहीं तो मैं कैसा बता पाऊँगा कि तीसरा कौन है ?
आदमी (हँसते हुए) अरे मामा इसीलिए लोग कहते हैं कि आपकी अपनी अक्ल है ही नहीं , अरे भाई तीसरा आदमी मैं ही हूँ और कौन ?
मामा ( खुश हो कर) तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया भाई तुमने आज एक ज्ञान की बात बताई मुझे / वैसे तुम करते क्या हो /
आदमी - जी मैं आगे की चौक पर चाय बेचता हूँ
इतना कह कर वह चला गया / मामा जब अपने कार्यालय लौटे तो उन्होंने अपने सारे सहयोगियों के एक बैठक बुलाई और यही सवाल किया जो उन्हें चायवाले ने पूछा था / ज़ाहिर है जैसा मामा वैसे ही उनके आदमी/ किसी को भी जवाब मालूम न था ./ तब मामा खड़े हो गए और सीना तान कर पूरी तरह अकड़ कर सभी से कहा, इतनी सी बात आपको मालूम नहीं, आप क्या करते हैं काम फिर बिना अक्ल के / अरे भाई मेरे घर का वह तीसरा आदमी भुबनेश्वर में चौक पर चाय की दूकान चलता है / हा हा हा हा / अब मान गए न मेरे मामा की अक्ल को /
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