Tuesday, January 3, 2012


मैंने कल वादा किया था की मैं अब यही प्रयास करूंगा  कि मेरे मामा में अक्ल न होने के कारण  वह किसी और अक्ल के हिसाब से ही सारा काम करते हैं, इस बात को प्रमाणित करूँ / तो आज की कथा सुनिए और सुबह सुबह हँसी  के साथ अपना दिन शुरू कीजिये /

हुआ ऐसा कि कल मामा हमारे शहर में आये थे आप सभी जानते हैं /किसी तरह एक आदमी उन तक पहुँच गया और कहा जी आपसे एक सवाल करने आया हूँ आप उसका जवाब देने कि कृपा करें तो मैं चला जाऊंगा/ मामा  को जाने  क्या सुझा  कहा , ठीक  है पूछो  / आदमी ने  कहा लोग कहते  हैं  आप किसी और के कहने  पर ही अपना सारा काम करते हो , आपके खुद की अक्ल नहीं है क्या ? मने कहा अक्ल तो है भाई  चाहो तो इन्तेहान ले लो / तो सुनिए दोनों में क्या बातें हुयी 

आदमी - मेरे घर पर ३ लोग हैं, एक मेरी पत्नी, दूसरा मेरा बच्चा, तो  बताइए तीसरा कौन है ?
मामा  - (बहुत दे तक सोचते रहे और कहा) माफ़ करना भाई, पहली बात तो मैं तुम्हे जानता नहीं , उपरसे मैं कभी तुम्हारे घर गया ही नहीं  तो मैं कैसा बता पाऊँगा कि तीसरा कौन है ?
आदमी (हँसते हुए)  अरे मामा इसीलिए लोग कहते हैं कि आपकी अपनी अक्ल है ही नहीं , अरे भाई तीसरा आदमी मैं ही हूँ और कौन ?
मामा ( खुश हो कर) तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया भाई तुमने आज एक ज्ञान की बात बताई मुझे / वैसे तुम करते क्या हो  / 
आदमी - जी मैं आगे की चौक पर चाय बेचता हूँ 

इतना कह कर वह चला गया / मामा जब अपने कार्यालय लौटे तो उन्होंने अपने सारे सहयोगियों के एक बैठक बुलाई और यही सवाल किया जो उन्हें चायवाले ने पूछा था / ज़ाहिर है जैसा मामा  वैसे ही उनके आदमी/ किसी को भी जवाब मालूम न था ./ तब मामा  खड़े हो गए और सीना तान कर पूरी तरह अकड़ कर सभी से कहा, इतनी सी बात आपको मालूम  नहीं, आप क्या करते हैं काम फिर बिना अक्ल के / अरे भाई मेरे घर का वह तीसरा आदमी  भुबनेश्वर में  चौक पर चाय की दूकान चलता है / हा  हा  हा  हा / अब मान गए न मेरे मामा की अक्ल को /


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