Sunday, January 15, 2012

कल दिन भर एक शूटिंग के सिलसिले में घर से बाहर रहा / भुबनेश्वर के पास ही एक गाँव में शूटिंग हो रही थी / दोपहर के भोजन के बाद थोडा सा टहलने के लिए निकला मैं./ एक जगह देखा , किसी घर के सामने एक चबूतरा सा बना हुआ है और वहां किसी स्वर्गीय व्यक्ति का नाम लिखा हुआ है एक मार्बल के पत्थर पर / निश्चित है , वह व्यक्ति गाँव का कोई सम्मानित व्यक्ति था या फिर जिस घर के आगे वह चबूतरा बना है उसी परिवार का कोई व्यक्ति था /मुझे खेद के साथ साथ आश्चर्य भी हुआ कि २ / ४ जवान लड़के उस चबूतरे पर आलथी- पालथी मार बैठे हुए थे और गप्पें लड़ा रहे थे / मैंने आगे जा कर देखा कि गाँव के कुछ बुजुर्ग व्यक्ति चौपाल पर बैठे हैं/ मैंने उनसे कहा कि लड़कों कि यह हरकत केवल अशोभनीय नहीं निंदनीय भी है / किसी दिवंगत व्यक्ति का ऐसा असम्मान क्या आपको बुरा नहीं लगता / आप उन लड़कों को टोकते क्यों नहीं ? / एक ने जवाब दिया भाई साहब वह अगर हमारी बेईज्ज़ती कर दें तो, हमें क्या पडी है बात बढाने की ? 
यह तो एक छोटे से गाँव के छोटी से घटना है ./हमारे संस्कृति,परंपरा और इतिहास को क़दम क़दम पर किस तरह रौंदा और कुचला जा रहा है ज़रा सोचिये / और इन लोगों की ही तरह, हमें क्या पडी है कह कर हम निष्क्रिय बन बैठे हैं?

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