Sunday, January 8, 2012

मित्रों इस पोस्ट पर ज़रा ध्यान दें / इसे ग़ौर से पढ़ कर इस पर अपनी टिप्पणी ज़रूर दें / यह एक कहानी नहीं बल्कि एक सच्ची घटना है /

वह एक पढालिखा युवक था/ सेहत ठीक ठाक थी और देखने में भी सुन्दर था/ सरकारी कार्यालय में अवस्थापित था और अच्छा खासा कमाता भी था / परन्तु अच्छे संस्कार में पले बढे होने के साथ साथ आदर्शवादी होने के कारण हर बात में मातापिता की राय को ही मानता था / एक दिन माँ ने कहा बेटा अब घर में बहू ले आ / बेटे ने कहा माँ यह जिम्मेदारी तो तुम्हारी है तुम जैसा कहोगी मुझे मंज़ूर है / पिता के एक पुराने मित्र की एक बेटी थी / उसकी बात छेड़ी माता पिता ने / बेटे ने कहा अगर आपलोगों की इच्छा है तो मुझे भला क्या आपत्ति हो सकती है / पर एक बात का ध्यान रखें / माता पिता घबरा गए / पूछा क्या है बेटे / बेटे ने कहा अपने ५ बेटियों की शादी में आपने दहेज़ का इंतेजाम करते करते क्या क्या भुगता है वह मैं आज तक नहीं भुला / इसलिए मैं नहीं चाहता कि मेरे मातापिता ने जो परेशानी झेली है वह कोई और भी झेले /
आप लडकी वालों से कह दीजिये कि हमें दहेज़ में कुछ भी नहीं चाहिए / माँ खुश हुयी बेटे की इस उदारता पर/ फिर बेटे से पूछा तो लडकी देखने कब चलें / बेटे ने कहा माँ, वह एक लडकी है कोई ढोर-डंगर नहीं जो उसे हम देखने जाएँ/ और मान लो हम देख भी लिए तो हम सिर्फ उसका बाहरी चेहरा ही देखेंगे न , अन्दर क्या है यह कौन बताएगा हमें./ लड़कीवालों को उसी हिसाब से खबर भेजी गयी /

अब देखिये घटना ने क्या मोड़ लिया / लडकी ने अपने घर के लोगों से कहा , लड़का पढ़ा लिखा है, अच्छी नौकरी भी करता है , देखने में सुन्दर है ,फिर भी न तो वह मुझे देखना चाहता है न ही दहेज़ की कोई माँग है उसकी / मुझे पक्का यकीन है कि लड़के में कोई न कोई खोट ज़रूर है / उन्हें कह दो मुझे उस लड़के से शादी नहीं करनी /

अब मित्रों आप का क्या कहना है इस बारे में / क्या दहेज़ के लिए सिर्फ लड़के वाले जिम्मेदार हैं ? एक उदार और योग्य वर पर शक करने के लिए लडकी की यह मनोवृत्ति के बारे में आपका क्या कहना है ? मैं दोबारा कहता हूँ कि यह कहानी नहीं , हकीकत है , जिसका मैं स्वयं प्रत्यक्ष गवाह हूँ

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