मित्रों आप सभी का ध्यान चाहूँगा / सबसे पहले तो मैं श्री सुरेन्द्र होता जी का धन्यवाद करता हूँ जिन्होंने इस कार्यक्रम का इतना सारा सुन्दर फोटो खींचा और हमें देखने का स्वर्णिम अवसर प्रदान किया / यह सारे फोटो बरगढ़ में हर वर्ष आयोजित धनु यात्रा महोत्सव का है / श्री कृष्ण को जब अक्रूर के हाथों कंस मथुरा बुलवाता है यात्रा देखने और उन्हें मारने का षड़यंत्र करता है उसी को अभिनीत किया जाता है इस अवसर पर / अब इस यात्रा की विशेषता मैं आपको बताता हूं/
१) इस अवसर पर सारा शहर में इस यात्रा का मंच होता है
२) बरगढ़ शहर मथुरा माना जाता है , पास बहने वाली जीरा नदी यमुना और नदी के उस पार का गाँव वृन्दावन आदि क्षेत्र
३) इसे संसार का सबसे बड़ा खुला रंग मंच OPENAIR THEATER की मान्यता दी जा चुकी है
४) इस यात्रा में शामिल होने वाले कलाकार सभी शौकिया काम करते है और इसके लिए उन्हें कोई पारिश्रमिक नहीं दिया जाता
५) कंस की भूमिका में अभिनय करने के लिए आवेदन पत्र आमंत्रित किये जाते है और इसके लिए इंटरव्यू भी लिया जाता है
६) देश के विभिन्न हिस्सों से लोक कलाकार यहाँ अपने कला का प्रदर्शन करने के लिए भी आते है
७) देवकी- वासुदेव के विवाह से ले कर कंस वध तक की घटना का नाट्य रूप कलाकार यहाँ प्रस्तुत करते है
८) पौष शुक्ल पक्ष की पंचमी से शुरू हो कर यह यात्रा ११ दिन तक चलती है और इसका समापन पौष पूर्णिमा के दिन होता है
९) कंस जब शहर परिक्रमा के लिए निकलता है तो उसे अखंड क्षमता का अधिकारी माना जाता है और वह राज्य के मुख्यमंत्री या राज्यपाल तक को भी दंड देने का आदेश दे सकता है
१०) यात्रा के ११ दिनों में बरगढ़ शहर मानो सचमुच श्री कृष्ण बलराम की लीला भूमि बन जाता है
परन्तु खेद का विषय है के इसे आज तक उतना प्रचार नहीं मिल पाया जितना मिलना चाहिए /आशा है सभी सदस्यों को इस नयी जानकारी से खुशी हुयी होगी
१) इस अवसर पर सारा शहर में इस यात्रा का मंच होता है
२) बरगढ़ शहर मथुरा माना जाता है , पास बहने वाली जीरा नदी यमुना और नदी के उस पार का गाँव वृन्दावन आदि क्षेत्र
३) इसे संसार का सबसे बड़ा खुला रंग मंच OPENAIR THEATER की मान्यता दी जा चुकी है
४) इस यात्रा में शामिल होने वाले कलाकार सभी शौकिया काम करते है और इसके लिए उन्हें कोई पारिश्रमिक नहीं दिया जाता
५) कंस की भूमिका में अभिनय करने के लिए आवेदन पत्र आमंत्रित किये जाते है और इसके लिए इंटरव्यू भी लिया जाता है
६) देश के विभिन्न हिस्सों से लोक कलाकार यहाँ अपने कला का प्रदर्शन करने के लिए भी आते है
७) देवकी- वासुदेव के विवाह से ले कर कंस वध तक की घटना का नाट्य रूप कलाकार यहाँ प्रस्तुत करते है
८) पौष शुक्ल पक्ष की पंचमी से शुरू हो कर यह यात्रा ११ दिन तक चलती है और इसका समापन पौष पूर्णिमा के दिन होता है
९) कंस जब शहर परिक्रमा के लिए निकलता है तो उसे अखंड क्षमता का अधिकारी माना जाता है और वह राज्य के मुख्यमंत्री या राज्यपाल तक को भी दंड देने का आदेश दे सकता है
१०) यात्रा के ११ दिनों में बरगढ़ शहर मानो सचमुच श्री कृष्ण बलराम की लीला भूमि बन जाता है
परन्तु खेद का विषय है के इसे आज तक उतना प्रचार नहीं मिल पाया जितना मिलना चाहिए /आशा है सभी सदस्यों को इस नयी जानकारी से खुशी हुयी होगी
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