Sunday, January 15, 2012

मैंने पहले भी कई बार कहा है , कि कोई माने या न माने, देश को इस अवस्था से उबारने के लिए कोई देवी शक्ति या अलौकिक कांड का होना अनिवार्य है , यह मानता हूँ / कोई मुझे पोंगापंथी कहे या अन्धविश्वासी मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता / अपनी उसी आस्था का वर्णन एक भजन में कर रहा हूँ/ अगर आप को विश्वास है तो पढियेगा वर्ना नहीं 

सुन लो अब तो हे गिरधारी - इतनी सी यह बिनती मेरी 
किसे पुकारें तुम्हे छोड़ कर, संकट देश पे है बड़ी भारी ;------
जब जब भी जो दिया है तुमने , हँस हँस गले लगाया 
फूल-शूल में फर्क किया न, माथे से सब को लगाया
फिर भी तडपाते क्यों हो तुम, बोलो कृष्ण मुरारि, किसे पुकारूं------
दया के सागर नाथ तुम्ही हो, तुम हो पालनहारे
जो बन जाओ तुम खिवैय्या, नाव लगेगी किनारे
किस संकट में भक्त तुम्हारे, अब तो समझो बनवारी , किसे पुकारूं---
कहाँ है बोलो अब वह सुदर्शन नाश करे जो पापी का
शेष नाग की शैय्या छोडो , हाल देखो इस धरती का
दिखला दो तुम हमको मोहन , अपनी सूरत प्यारी , किसे पुकारूँ---

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