Sunday, January 15, 2012

एक ग़ज़ल (पेरोडी) उन पर , जिनका और कमीनापन का चोली-दामन का साथ होता है 
, और जिन्हें ग़लती से हम नेता कह कर सम्मान देते है 

खुदा भी आसमान से जब ज़मीन पर देखता होगा 
कमीने नेता को किसने बनाया सोचता होगा ,------
बनाके आदमी मैंने भेजा था इसको धरती पर
कैसे हैवान गया बन,कोई तो बतला दे आ कर
क्या है हालत हमारी वह यही तो सोचता होगा -----
होता अच्छा अगर इसको मैं कुत्ता ही बना देता
ट्रकोंके पहियेके नीचे आकर यह मर गया होता
तसल्ली सबको होती जो, यही तो सोचता होगा --
खुदा ने खाई है कसमें नेता न अब बनाऊंगा
दुनिया की हुकूमतको मैं अब खुद ही संभालूँगा
खुशी कितनी होगी हमको यही तो सोचता होगा -------

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