Sunday, January 15, 2012

जहाँ तक मेरी जानकारी है, देश में जितने भी अपराध होते हैं उनके पीछे सबसे बड़ा कारण होता है आर्थिक फायदा / ज़मीन जायदाद के बंटवारे को ले कर रिश्तेदारों में झगडा और खून की घटनाएं , पुरुष द्वारा अपने ही परिवार की महिलाओं या अन्य महिलाओं को देह व्यापार में घसीटना आदि से ले कर सरकारी कार्यालयों में अपने पद का दुरुपयोग कर रिश्वत खाना और देश की सुरक्षा से सम्बंधित दस्तावेज देश के दुश्मनों को बेच देने तक , सब के पीछे आर्थिक लाभ ही एक मात्र उद्देश्य रहता है / पर इससे भी अधिक चिंताजनक बात यह है कि पकडे जाने पर और वह भी रंगे हाथों यही लोग मजबूरी का राग अलापते हैं और अपने को मासूम और बेगुनाह प्रमाणित करने का ढोंग शुरू कर देते हैं / कहीं कहीं पर यह सफल भी हो जाते हैं / ऐसा ही एक काल्पनिक किस्सा प्रस्तुत है / 

एक आदमी था जिसे हराम की खाने की आदत पड़ गयी थी / दिन भर सारे शहर में घूमता था और जहाँ भी मौका लगे हाथ साफ़ कर देता था / एक दिन कहीं कुछ न मिला/ दिन के ३ बजने वाले थे , देखा एक दूकान दार का खाने का डिब्बा रखा हुआ है और वह हाथ धोने गया हुआ है / उसने डिब्बा उठा लिया और भागा, पर पकड़ा गया/ अदालत में केस चलते वक़्त उसके वकील ने सफाई दी , हुज़ूर मेरा मुवक्किल भूखा था इस लिए उसने सिर्फ खाना ही चुराया वर्ना वहीं पर नोटों से भरा एक ब्रीफकेस भी रखा था जिसमें लाखों रुपये थे/ अगर यह चोर होता तो उसे न ले भागता ? जज ने देखा की वह आदमी जोर जोर से रो रहा है , दया दिखा कर उन्होंने उसे रिहा कर दिया / अदालत से बाहर आ कर वकील ने आदमी से पूछा तुम रो क्यों रहे थे ? क्या तुम्हें पश्चाताप हो रहा था ? / इसने जवाब दिया अजी साहब पश्चाताप तो हो रहा था ज़रूर पर अपनी करनी पर नहीं बल्कि इस बात को ले कर कि मैं वह ब्रीफकेस देख कैसे नहीं पाया ? / हमारे देश के बेईमान नेता और इस चोर में कोई फर्क नज़र आता है क्या आपको ? / और हम भी उस जज की तरह दया दिखाते रहते हैं न हर बार चुनाव में / ग़लत कहा क्या मैंने ?

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