Sunday, January 15, 2012

व्यक्ति का व्यक्तित्व उसके आचरण, विचार और मानसिकता से ही निखरता है / हर व्यक्ति में गुण और अवगुण होते हैं इस में कोई दो राय नहीं/ यह बात और है कि किसी में गुण अधिक हों तो किसी में अवगुण अधिक/ परन्तु मनुष्य के रूप में जन्म ले कर कोई केवल गुण या अवगुण का भण्डार नहीं हो सकता / 
परन्तु समाज में एक दोष यह है कि जिसमें २ /४ अच्छाई नज़र आयी तो उसे वह भगवान का स्थान देने लग जाता है, जिससे सम्बद्ध व्यक्ति में अहंकार बढ़ जाता है और वह अपने आपको निरंकुश समझने लगता है / दूसरी तरफ किसी के अवगुण के झलक मात्र देख लेने से हम उसे दानव मानने लगता हैं जिससे उसके मन में समाज के प्रति विद्रोह भाव जन्म लेता है और वह समाज का दुश्मन बन जाता है /
इस प्रकार दोनों ही परिस्थितियों में समाज का अर्थात हमारा ही नुक्सान होता है आगे चल कर /अतः हमारा कर्तव्य है कि हम कभी भी पूर्वाग्रह से ग्रसित न हों किसी के बारे में बोलते हुए , अर्थात अच्छा तो सदैव अच्छा और बुरा तो हमेशा के लिए बुरा यह मानना और कहना ठीक नहीं है / शायद अनेक समस्याओं का समाधान इसी बहाने हो जाए /

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