Tuesday, January 3, 2012



बड़ा आश्चर्य होता है मुझे कभी कभी, कैसे यह देश टिका हुआ है इस धरती पर अब तक . / देश की जिम्मेदारी जिस सरकार पर है वह पैरों पर कभी खड़ी होती नहीं सिर्फ घुटने के बल बैठी रहती है और वह भी दुष्ट, नराधम और पापियों के सामने / एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में जब इस देश का अभ्युदय हुआ, तभी से यह परंपरा चली आ रही है / इस विशाल देश को द्विखंडित करने का षड़यंत्र जिन लोगों ने प्रारंभ किया और उसमें सफल भी हो गए, उनके पुनर्वास के लिए कुछ लोगों ने ५५ करोड़ रुपये दान में देकर अपने आपको शांति और अहिंसा के पुजारी कहलाने लगे, जब की उस समय देश की जनसँख्या इस राशि से लगभग आधी थी / उन्ही षड्यंत्रकारियों को यह आज भी सगा भाई मानने के लिए लोगों पर दवाब डाल रहे हैं / उन्ही दुराचारियों के विरुद्ध जब एक आन्दोलन प्रारम्भ हुआ तब इन्ही लोगों ने सैन्यबल की सहायता दे कर और एक षड्यंत्रकारी देश की स्थापना में सहायता की और फिर से अपने आपको शांति का पुजारी कहलाने लगे
देश में एक संविधान ऐसा बना जिसमें अपना कुछ भी नहीं था / जिस तरह भिखारी अपने भिक्षा पात्र में दाल ,चावल सब्जी सब कुछ मिला कर रख लेता है देश के संविधान के साथ भी ऐसा ही कुछ खिलवाड़ किया गया / संविधान कितना कमज़ोर था यह इस बात से प्रमाणित होता है कि अब तक सैकड़ों बार इसका संशोधन करने की आवश्यकता आन पडी /संविधान के प्रावधानों की धज्जियां बार बार उडाई जाती है और देश के सरवोछ शासक अपनी मजबूरी का रोना रोते रहते हैं, जो स्पष्ट प्रमाणित करता है कि यह नपुंसक और कायर हैं /
देश में एक राष्ट्रध्वज है जिसे देश द्रोही जलाने का समारोह मनाते रहते हैं और सरकार मूक दर्शक बनी रहती है / दूसरी तरफ राष्ट्रध्वज फहराने का प्रयत्न जो करते हैं उन्हें रोका जाता है, ताकि सरकार के अघोषित पिता कहलाने वाले यह आतंकी और देश द्रोही कहीं नाराज न हो जाएँ / देश की सुरक्षा के लिए जो प्राण अर्पित करते हैं उनके परिवार का का क्या होता है किसीको पता नहीं पर देश पर आक्रमण करनेवाले इन आतंकियों की खातिरदरी में ज़रा सी भी ढील नहीं दी जाती / देश द्रोही संगठनों के पक्षधर इस देश में कानून मंत्री बनाये जाते हैं ताकि देशद्रोहियों को सर पर चढ़ाया जा सके
कोई सरकारी नौकर सौ दो सौ की रिश्वत ले तो उसे नौकरी गँवाने के साथ साथ कारादंड भी दिया जाता है पर कई लाख करोड़ की हेरा-फेरी करने वाले इस देश में मंत्री की कुर्सी को सुशोभित किये रहते हैं / देश में कहीं भी ऐसा कुछ नहीं दीखता कि देश में न्याय, धर्म और सत्य है यहाँ /चोर- डकैतों की यहाँ आव-भगत होती है और साधुओं पर आक्रमण होता है /
पर एक संतुष्टि हैं ज़रूर , इन सब के बावजूद यह देश है, इसका एक मात्र कारण है कि ईश्वर है और वही सब कुछ देख रहे हैं / बस मित्रों हमें प्रतीक्षा है कि जिस तरह कंस,हिरण्यकशिप, दुर्योधन जैसे अत्याचारी और अविविकियों का अंत हुआ था उसी तरह उसी तरह इस अयोग्य सरकार का भी पाताल प्रवेश हो /

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