Sunday, January 15, 2012

गुण- दोष , सफलता - असफलता इन का चोली दामन का साथ है , यह हम सभी जानते हैं / पर आश्चर्य होता है हमें हमारे टीम इंडिया कहलाने वाली क्रिकेट टीम पर जब यह लगातार लड़खड़ाते रहते हैं / कोई एक को दोष देता है तो कोई दूसरे को / कप्तान कहता है बोलर चले नहीं तो कभी बल्लेबाज नाकाम रहे / पर सुधरने का नाम शायद ही कोई लेता है / क्यों सुधरे भाई / हारने पर भी माल तो उतना ही मिलता है न ? इसी बात की समीक्षा करने के लिए मैंने एक छोटी सी कविता लिखी है / ज़रा उस पर ध्यान दें / किसी एक खिलाड़ी पर मैंने इलज़ाम नहीं लगाया इस बात पर ध्यान दें / कविता का शीर्षक है "मिसाल"

तुलना अगर की जाए साइकल स्टैंड और टीम इंडिया की पायेंगे आप एक बड़ी समानता /
हैरान न हों भाई , देता हूँ बता इनकी औकात, अगर आप सोचते हैं कि आपको नहीं है पता //
बात अपनी समझाने का आपको यह विनम्र प्रयास , आओ चलो फिर मैं अब कर ही देता हूँ /
कितने काबिल और धुरंधर यह शेर हमारे, मैं अब महिमा इनकी खुल के सुना ही देता हूँ //
हल्का सा जब लगे झटका एक साइकल को , स्टैंड पर वह साइकल झट से तो गिर जाए /
साथ में उसके बाकी सब साइकल ,क्या देखा नहीं है आपने एक के बाद एक लुढ़कते ही जाए //
इस बात को याद करो और लौटो क्रिकेट के क्षेत्र को, जैसे ही कोई बल्लेबाज आउट हो जाए /
दिग्गज ,धुरंधर व बहादुर कहलानेवाले सभी एक एक कर के पविलियनपे लौट आये //
खेल यह खेले या न खेलें फिक्र नहीं, पर देखो भाई कैसी अद्भुत है इनकी यह अनुपम एकता /
पिट कर जब एक खिलाड़ी लौट आया सर झुकाए , संगी साथी एक एक उसके पीछे हो लेता //

बोलो साइकल स्टैंड की जय - टीम इंडिया की जय

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