Sunday, July 27, 2014

सोच समझ कर कुछ ऐसा बोलो कि बात से पलट जाने की नौबत न आए - जो भी करो सोच समाझ का र करो कि बाद में खेद व्यक्त करने की नौबत न आए .- पर सत्ता सुख भोगने वाले अधिकतर नेता इन बातों पर कभी ध्यान नहीं देते . - भा ज पा को औरों से अलग सोचा था लेकिन अफ़सोस कोयले की खदान में चूने की भट्टी तो स्वप्न में भी संभव नहीं है- अपने क्षोभ को एक पेरोडी का रूप दे रहा हूँ - मूल गीत है फिल्म "हरियाली और रास्ता " का - इब्त्दा-ए- इश्क़ में .....

इब्त्दा-ए- देश प्रीति में . पागल जैसे भागे
अल्लाह जाने क्या होगा आगे -
ओ मौला जाने क्या होगा आगे-------
रोका कई बार तुझ को- तेरा कौन वह लागे
अल्लाह जाने क्या होगा आगे -
ओ मौला जाने क्या होगा आगे-------

क्या कहूँ कुछ कहा भी न जाए
बिन कहे भी रहा नहीं जाए
देख कर फरेबी यह चेहरे
दर्द दिल का सहा नहीं जाए
देश प्रेम पे झाड़ प्रवचन - पोथि फाड़ भागे
अल्लाह जाने क्या होगा आगे -
ओ मौला जाने क्या होगा आगे-------

देश प्रेम अब बन गया सौदा
अपना फायदा एक ही मसौदा
अब तो इनको जान रे मूरख
यह हैं सियाने तू एक गधा
तू है जनता तूने खुद दुख दर्द है माँगे
अल्लाह जाने क्या होगा आगे -
ओ मौला जाने क्या होगा आगे-------

तौबा कर लें नेताओं से अब
अक ही थैली के चट्‍टे बट्‍टे सब
चिकनी चुपड़ी बातें कर के
चने की झाड़ पे चढ़ाते हैं सब
चाहे "मन्नू" या हो " नामो" - सारे काले काग़े
अल्लाह जाने क्या होगा आगे -
ओ मौला जाने क्या होगा आगे-------

खुद ही नेक बना रहना रे तू
सीधे राह पे चलना सदा तू
आज नहीं तो कल को देखना
इनका उतरेगा मुखौटा रे तू
बकरे की जो माँ है खैर मनाए कब तक आगे
अल्लाह जाने क्या होगा आगे -
ओ मौला जाने क्या होगा आगे-------

No comments:

Post a Comment