Sunday, July 27, 2014

दूसरा चुटकुला

पता नहीं क्या हुआ वयोवृद्ध नेता ने सुबह सुबह अपने सचिव से कहा डॉक्टर साहब को फोन लगाओ और जल्द से जल्द आने को कहो - सचिव बेचारा हुक्म का गुलाम- वैसा ही किया - आधे घंटे में डॉक्टर जो नेता का बचपन का सखा भी था आ गया
डॉक्टर - अरे यार क्या हुआ - इतनी हड़बड़ी में बुलाया - मैं बिना नहाए ही चला आया- सब ठीक ठाक तो है न
नेता - नेता नहीं यार घबराने की कोई बात नहीं - तुझे मैंने दोस्त की हैसियत से बुलाया - बीमार के रूप में नहीं - एक सलाह लेनी है तुझसे
डॉक्टर- तो बोल न फिर
नेता - यार कल रात को एक सपना आया मुझे- देखा बढ़ती उम्र की बात को ले कर मैं इस्तीफ़ा दे रहा हूँ- उसी सिलसिले में तुझसे बात करनी है
डॉक्टर - अरे भाई बात क्या करनी है - बड़ा ही नेक विचार है - शुभ काम में देर कैसी
नेता - तू मेरा दोस्त है ? लानत है तुझ पर - मैनें तुझे इस लिए बुलाया कि मेरे दिमाग़ की जाँच कर जल्दी ऐसी वाहियात बात मेरे दिमाग़ में आई कैसे ..
सोचिए देश का हाल क्यों ऐसा है

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