Monday, July 14, 2014

ज़ख़्म ज़माने ने जितने दिए -उतने और किसी को न मिले 
हर एक मनमें प्यार हो प्रभु - दीप जले सदा और फूल खिले //
नाम-ओ-निशान मिटे रंजिशका - उलफत के महफ़िल ही सजे 
एक मन एक जान हों सब - यहाँ दिल से दिल का तार मिले //
चोट लगे किसी एक को गर - हर एक आँखों में आँसू छलके 
कोई खुशी में डूबा हो जब - हर एक लब पर तबस्सुम खिले //
मिनी ने कहा जो तू सुधरेगा नहीं - इसका तू अफ़सोस न कर
अपनाता जा तू इन राहों पर चाहे फूल मिले या खार मिले //
कोई गैर नहीं यहाँ 'कुंदन' हर कोई तेरा तो अपना ही है 
गाता जा तराना यही तू - करता जा दुआ कि हो सबके भले //

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