स्वर्गीय बाल गंगाधर तिलक जी के जन्म दिवस पर एक छोटी कविता
बा ----- बातों के थे धनी आप - स्वाभिमान पूंजी थी आपकी
ल ----- लहू में इतना उबाल था तो तख्त हिला फिरंगियों की
ग ----- गंगा माता के नीर सम शुद्ध पवित्र थे आपके विचार
गा ----- गाते रहे राष्ट्र वंदना - समझौता कभी न किया स्वीकार
ध ----- धरती देश की हो गयी हर्षित आप सा पाकर पुत्र वीर
र ----- रक्त तिलक जो धारण कर ले शत्रु के छाती को भी चीर
ति ---- तीरथ बन गया वह नगर आपने जिस में लिया जनम
ल ---- लगन और निष्ठा के बाल आपने किए दुष्कर करम
क ----- कहते जाएँ फिर भी आपके गुण का क्या करें बखान
जी ---- जी चाहे फिर से भारत में जन्मे कोई तिलक महान
बा ----- बातों के थे धनी आप - स्वाभिमान पूंजी थी आपकी
ल ----- लहू में इतना उबाल था तो तख्त हिला फिरंगियों की
ग ----- गंगा माता के नीर सम शुद्ध पवित्र थे आपके विचार
गा ----- गाते रहे राष्ट्र वंदना - समझौता कभी न किया स्वीकार
ध ----- धरती देश की हो गयी हर्षित आप सा पाकर पुत्र वीर
र ----- रक्त तिलक जो धारण कर ले शत्रु के छाती को भी चीर
ति ---- तीरथ बन गया वह नगर आपने जिस में लिया जनम
ल ---- लगन और निष्ठा के बाल आपने किए दुष्कर करम
क ----- कहते जाएँ फिर भी आपके गुण का क्या करें बखान
जी ---- जी चाहे फिर से भारत में जन्मे कोई तिलक महान
No comments:
Post a Comment