Sunday, July 27, 2014

देश में परिवर्तन की आशा और तद्जनित निराशा को कुछ शब्दों का रूप दे रहा था 2 दिनों से कुछ पेरोडी प्रस्तुत है आपकी सेवा में--

मूल गीत - दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा- फिल्म अमानुष

दिखलाया हमें पक्षीराज घोड़ा
पर खच्चर भी न साथ एक छोड़ा
गड्ढों से भर सड़कों पर दौड़ा कर
यह हाथ पैर रे सब तोड़ा , यह हाथ पैर रे सब तोड़ा ,----

बोला था कि अच्छे दिन लाएँगे 
और झूले में सब को झूलाएँगे
यह धोखा तो हुआ रे बहुत बड़ा - यह हाथ पैर रे सब तोड़ा ,----

हम भी भोले थे रे कितने बातों में इनकी आ गये
काँचके टुकड़ेको जाने क्यों कीमती हीरा मान गये
पाजामा भी ले गये रे खोल के नाडा- यह हाथ पैर रे सब तोड़ा ,--

वादों से अपने यह तो फिर गये
हम फिर से अंधेरों में घिर गये
उजालों ने साथ फिर से छोड़ा - यह हाथ पैर रे सब तोड़ा ,-----

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