Sunday, July 27, 2014

मूल गीत - कठपुतली - मंज़िल वही है प्यार की राही बदल गये

कुर्सी वही है सत्ता की 
बस लोग बदल गये 
अच्छे दिनों के सपनों में
हम खो गये ----
गद्दी जो उनको मिली 
नीयत ही बदल गयी
देखी जो यह नौटंकी
तबीयत ही तो हिल गयी
समझा था जिनको वैष्णव
अघोरी वो निकल गये
अच्छे दिनों के सपनों में
हम खो गये ----
ढेरों तो सुनाए उपदेश
कहे थे सर्वोपरि देश
देखी जो करतूत अब
पहुँचा है मान को रे क्लेश
हम को दिखाए राहें जो
उनसे तो वह हट गये
अच्छे दिनों के सपनों में
हम खो गये ----

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