Monday, July 30, 2012

एक फिल्म आयी थी हकीकत जिसमें एक गीत था "कर चले हम फ़िदा जानोतन साथियों" / आईये देखते हैं कांग्रेसी उसे कैसे गाते हैं 

कर चले हम फ़िदा स्वाभिमान साथियों
हमको मिलनी है ऊंची कुर्सी साथियों -----

आदर्शों का क्या और क्या है उसूल
पकडे रहने से रोते तो मिलती नहीं
देश में ऐसे लोगों को देखे हैं हम
जिनके सर पर छत भी तो होती नहीं
ऐसे पागल बनें हम क्यों कहो साथियों,-----
जिंदा रहना है जब तक हमें देश में
क्यों न लूटेंगे हम ज़िन्दगी का मज़ा
बुद्धि आत्मा, विवेक को जाओ रे भूल
तब ही बन पाओगे तुम तो यहाँ के राजा
गाँठ इस बात को बाँध लो साथियों ,---------
देश के खातिर मार्के है क्या फायदा
किसके खातिर तो मरता यहाँ कौन है
हाथ में हो पॉवर चाहे जैसे भी हो
सामने तेरे सरको उठता कौन है
हम ही धरती के भगवान् है साथियों , ------
देश लुटता रहे देखते हम रहे
विदेशी बैंक में कैसे बढ़ती रकम
भूखों मरती रहे देश के जनता
उनके पैसों से मौजें उड़ाते हैं हम
धन्य हम है पाके ऐसा जनम साथियों ,-----
मवाली गुंडों की लेते हैं हम मदद
ताकि कुर्सी पे ताउम्र बैठेंगे हम
खाक हो जाए देश, जनता होवे शेष
लाशों पे बैठ कद को बढ़ातें है हम
हम तो खुद ही में रहते मगन साथियों,-------

* कांग्रेसियों का चरित्र यही है न मित्रों ?

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