Monday, July 30, 2012

वीणा जी / दीनेश जी एवं अन्य सभी मित्रों ,

कल मैंने जगन्नाथ जी पर १ भजन पोस्ट किया था, जिसे कई मित्रों ने पसंद किया और उस पर टिप्पणी भी की , बहुत प्रसन्नता हुयी / 
आज सुबह सोचा क्यों न अपने गुरूजी पर कुछ लिखने का प्रयास करूँ / गुरूजी ने जिन फिल्मों में गीत लिखे उन्ही के नाम को मिला कर  एक प्रयास किया है, देखिये अगर आपलोगों को पसंद आ गया तो मेरा प्रयास सफल हुआ मानूंगा मैं/ फिल्मों के नामों - " " के बीच रखा है

श्री गुरु वंदना

"बरसात" के बनके वह "बादल", "काली घटा" जैसे छा गए
"पूनम" का "चाँद" कहलाये "बसंत बहार " यूँ वह गा गए //

"आस" का "दीप जलता रहे" दिखलाए "किस्मत के खेल "
"आवारा", "श्री ४२०" का यारों "चोरी चोरी " करवाए मेल //

कहते रहे "दिल एक मंदिर" चाहे "शिकस्त" मिले चाहे "दाग"
ऐसे थे वह "आस का पंछी" , किसीके सामने भरी न तो "आह" //

"बादशाह" थे "नगीना" थे "कन्हैया" थे वह प्यारे हम सब के
"करोडपति" तो वह थे मनके ,"आशिक" हम सब थे उनके //

"प्यार मोहब्बत" और "अमन" के "हमराही" वह "लाट साहब"
"प्रोफ़ेसर " थे "गाईड " भी थे , कोई कोई कहे "छोटे नवाब" //

"छोटी छोटी बातें" बनाके जरिया वह बातें ऐसी कह जाते थे
"नया घर " "आनंद मठ " वह "रात और दिन" बनाते थे //

"दूर का राही" "तीसरी क़सम" खा के ,चला "ममता की छाँव में"
"विधाता नाच नचावे" कैसे दिखला गया हमको वह "नई राहें "//

ओ मेरे "मासूम " "अनाडी " यह "दिल तेरा दीवाना" तो है
"शैलेन्द्र" ही है नाम संगीत का कहता यह सारा ज़माना है //

मैंने मात्र ४१ फिल्मों का उल्लेख किया है इसमें, "गुरूजी" की अनगिनत फिल्मों में से /
अगर आपको यह रचना अच्छी लगी तो आगे भी कोशिश करता रहूँगा /

वीणा जी और दीनेश जी का विशेष ध्यान चाहूँगा इस पोस्ट पर

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