Monday, July 30, 2012

मित्रों एक विचित्र प्रजाति का प्राणी उत्पन्न हुआ इस देश में और तेज़ी से अपने संख्या बढ़ता जा रहा है / उस प्राणी को कुछ लोग "सेक्युलर" कहते हैं , पर उनकी मानसिकता और वास्तविकता देखते हुए मैं उन्हें "शेख - हुल्लड़ " कहता हूँ ,क्यों कि यह शेखी बघारने में माहिर हैं और हुल्लड़ मचाने में भी / और इनका एक ही मूल धर्म है शेखों का साथ देना / तो क्यों न आज उन पर एक रचना हो जाए /

मैं हूँ सेक्युलर - धरम का ठेकेदार
चाशनी में ज़हर घोल कर बाँटूं नकली प्यार 
मैं हूँ सेक्युलर - धरम का ठेकेदार------
मेरे अपने भाइयों का मुझको फ़िक्र है नहीं
अपने स्वार्थ छोड़ कर कुछ मैंने सोचा नहीं
पुरखों को जो गाली दे, दूं मैं उसको पुरस्कार
मैं हूँ सेक्युलर - धरम का ठेकेदार-----------
वह जो मेरे सगे हैं, भागता हूँ दूर उनसे
मारते जो हैं लात मुझे, चाटूं तलवे उनके
वर्ना कहो चलेगी कैसे अपनी सरकार
मैं हूँ सेक्युलर - धरम का ठेकेदार-------------
धर्म-कर्म न मानूं यह तो है एक बीमारी
इफ्तार की दावत रखूँ तो वह है समझदारी
संस्कृति की बातें सुनकर चढ़ता मुझे बुखार
मैं हूँ सेक्युलर - धरम का ठेकेदार-----------
नाम के पाक जो हैं, मन के गंदे हैं बड़े
वह आये इस देश में तो अपने मौज हैं बड़े
वोट ले कर उनका ही बना मैं साहूकार
मैं हूँ सेक्युलर - धरम का ठेकेदार-------------
न हिन्दू न मुस्लिम कोई मेरा नहीं अपना
इनको लड़कर देखूं तमाशा काम है यह अपना
समझ सके कोई मेरी चाल को कौन है होशियार
मैं हूँ सेक्युलर - धरम का ठेकेदार-----

तो भाईओं कुछ ग़लत आकलन तो नहीं किया न मैंने इनका ?

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