एक लघु कथा
उसे जब कठघरे में लाया गया , उसे देख कर ही हाकिम के त्योरियां चढ़ गयी. / वकील के कुछ बोलने से पहले उन्होंने मुलजिम से कहा, आज मैं तुम्हें पांचवीं बार देख रहा हूँ/ पढ़े लिखे हो, देखने में हट्टे कट्टे हो और चेहरे से लगता नहीं कि तुम्हे अच्छे परवरिश न मिली हो / तो फिर बार बार चोरी करके पकडे जाते हो और यहाँ क्यों आते रहते हो / कोई ढंग का काम क्यों नहीं करते ?
मुलजिम ने आँखों में ढेर सारी उदासी और होठों पर फीकी से मुस्कराहट ला कर कहा, साहब जानते हैं समाज में सबसे सस्ता क्या है, जी वह है नसीहत / आप मेरी जगह होते और मैं आपकी जगह होता तो शायद मैं भी ऐसा ही केहता जैसा कि आप कह रहे है ? पर साहब आपको पता है बाहर की दुनिया का हाल ? कौन सा काम करूँ ? सरकारी नौकरी में आरक्षण ने हमें न घर का छोड़ा न घाट का / निजी क्षेत्र में हमारे लिए कोई जगह है नहीं / सोचा था कि राजनीति में उतर कर कुछ बदलाव लाऊंगा पर वहां भी परिवारवाद हावी है / विश्वविद्यालय में पढ़ते समय इंटर यूनिवर्सिटी ड्रामा कम्पीटीशन में श्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जीता था मैंने , पर फिल्म उद्योग भी निजी क्षेत्र बन गया है , बड़े बाप के बेटे ही वहां मौका पाते हैं / लेखन का शौक था पर प्रकाशन संस्था केवल प्रशासनिक अधिकारीयों के लिखे हुए ही छापते हैं, आखिर उन्हें भी अपने पेट की चिंता करनी होती है न ? थक हार कर मजदूरी करने निकला तो तो हर किसीने कहा पढ़े लिखे हो तुमसे क्या मेहनत होगी ?
तो फिर आप ही बताइए जिंदा कैसे रहूँ / अगर भगवान् ने पेट न दिया होता और भूख न दी होती तो शायद यह हाल न होता मेरा / ऊपर से घर परिवार में ताना निकम्मा होने का / बताइए आप मेरी मदद करेंगे कोई इज्ज़त की कमाई करने के लिए / हाकिम ने शर्म के मारे लाचारी से सर झुका लिया
उसे जब कठघरे में लाया गया , उसे देख कर ही हाकिम के त्योरियां चढ़ गयी. / वकील के कुछ बोलने से पहले उन्होंने मुलजिम से कहा, आज मैं तुम्हें पांचवीं बार देख रहा हूँ/ पढ़े लिखे हो, देखने में हट्टे कट्टे हो और चेहरे से लगता नहीं कि तुम्हे अच्छे परवरिश न मिली हो / तो फिर बार बार चोरी करके पकडे जाते हो और यहाँ क्यों आते रहते हो / कोई ढंग का काम क्यों नहीं करते ?
मुलजिम ने आँखों में ढेर सारी उदासी और होठों पर फीकी से मुस्कराहट ला कर कहा, साहब जानते हैं समाज में सबसे सस्ता क्या है, जी वह है नसीहत / आप मेरी जगह होते और मैं आपकी जगह होता तो शायद मैं भी ऐसा ही केहता जैसा कि आप कह रहे है ? पर साहब आपको पता है बाहर की दुनिया का हाल ? कौन सा काम करूँ ? सरकारी नौकरी में आरक्षण ने हमें न घर का छोड़ा न घाट का / निजी क्षेत्र में हमारे लिए कोई जगह है नहीं / सोचा था कि राजनीति में उतर कर कुछ बदलाव लाऊंगा पर वहां भी परिवारवाद हावी है / विश्वविद्यालय में पढ़ते समय इंटर यूनिवर्सिटी ड्रामा कम्पीटीशन में श्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जीता था मैंने , पर फिल्म उद्योग भी निजी क्षेत्र बन गया है , बड़े बाप के बेटे ही वहां मौका पाते हैं / लेखन का शौक था पर प्रकाशन संस्था केवल प्रशासनिक अधिकारीयों के लिखे हुए ही छापते हैं, आखिर उन्हें भी अपने पेट की चिंता करनी होती है न ? थक हार कर मजदूरी करने निकला तो तो हर किसीने कहा पढ़े लिखे हो तुमसे क्या मेहनत होगी ?
तो फिर आप ही बताइए जिंदा कैसे रहूँ / अगर भगवान् ने पेट न दिया होता और भूख न दी होती तो शायद यह हाल न होता मेरा / ऊपर से घर परिवार में ताना निकम्मा होने का / बताइए आप मेरी मदद करेंगे कोई इज्ज़त की कमाई करने के लिए / हाकिम ने शर्म के मारे लाचारी से सर झुका लिया
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