Tuesday, July 30, 2013



देश का दुर्भाग्य है कि 6 दशकों से नेता हमें उल्लू बनाते आ रहे हैं और हम इसी में अपने आपको महिमा मंडित होते हुए मान अपनी पीठ ठोंक रहे है/ इलाहाबाद ऊच्च न्यायालय द्वारा जाति के आधार पर प्रचार करना को बंद किया जाना , अपराधियों के नेता बनने पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बोले जाने को ले कर जनता खुश हो रही है. परंतु एक बात स्थिर सत्य है, जब तक आम जनता की भावना न बदले कोई परिवर्तन नहीं आने वाला इस देश में. इसी को ले कर एक पेरोडी लिखी है फिल्म "चलती का नाम गाड़ी " के गीत पर आधारित बाजू------------ बाबू समझो इशारे- जनता जागो रे रहो होशियार- यहाँ नेता को हैवान कहते है सारे रहो होशियार----------- सौ बातों की एक बात यही है सोच समझ कर वोट डाले जो इंसान तो वही है नेता जो बोतल दे - सर उसका फोड़ दे नोट दिखाए जो दुलत्ति झाड़ दे मेरी बातों मतलब ज़रा तू समझ (2) बात का मतलब समझ ले अब तो वरना होगा रे बेड़ा गर्क, बाजू------------- हिल मिल के चलना यूँ ही साथी होशियार तुझे रहना होगा हो वह हाथ या हाथी तेरे हाथों मे तेरी क़िस्मत चाबी ले लेगा जो कोई छिन के होगी खराबी देश को अब तू ए जनता बचा(2) बात मान ले अब तू , बाजू---

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