Saturday, August 10, 2013

जो समझना चाहें समझ लें क्या लिखा है 

हक़ नहीं है तुमको बोलने की - लगा के रखों ज़ुबान पे ताला
तुम हो हुकम के गुलाम जाहीलों - हम आका और हुज़ूरे आला //

क़ायदा क़ानून हम ही तो बनाते - उसको चाहें तोड़ेंगे हम ही
चाहो चीखो और चिल्लाओ कितना भी कुछ नहीं होनेवाला //

कोई भी ऐसी नहीं अदालत - जहाँ पे अपने नाम न केस हो
घाट घाट का है पानी पिया रे - अपुन तो नहीं डरनेवाला //

चाहें तो कर लें हम रेप - या फिर मर्डर या हो लूट पाट
माई का लाल न पैदा हुआ अभी हमको यहाँ रोकनेवाला //

चले गये विदेशी फिरंगी - पर हम तो बिखेरे जाते हैं रंग
उसके तो हैं मज़े और ऐश अपने रंग में जो है रंगने वाला //

फेस बुक पर कस देते हैं लगाम देखें कैसे उछलते हो अब
हद में रह रे आज़ाद परिंदे बस तेरा पर अब कटनेवाला //

No comments:

Post a Comment