इस पर पेरोडी प्रस्तुत है- मूल गीत फिल्म "शर्मीली" का "खिलते हैं गुल यहाँ"
होते हैं "चुनाव" यहाँ, "चूना" ही लगाने को
पड़ते हैं "वोट" यहाँ , हमें "बाट" लगाने को..
कल रहे न रहे सिस्टम डेमोक्रेसी का
कल मिले न मिले मौका बदमाशी का
चार पल मिले जो उसे हाथोंसे न जाने दे ..
प्यासा यह देश है , प्यासी जनता सारी
हमको ना फिक्र है , बाज़ी हमने मारी
सारा माल करें हजम, जनता को मरने दे ,.....
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