एक बहुत ही मशहूर गीत का मुखड़ा पेरोडी के रूप में लिख रहा हूँ - कोशिश कीजिए इसे आगे बढ़ाने की--- किसीने कोशिश नहीं की - तो चलो मैं कर लूँ ओखली में सर दिया तो मूसल से क्या डरना
न निंदा करके जियों
और न चिट्ठी लिख के जियो
अगर हो हमले देश पर तो
लड़ते लड़ते जियो-----------
यह मिट्टी वीरोंकी है क्या यह बात याद नहीं
यह ऊँची कुर्सी विदेशों का सैर ज़िंदगी तो नहीं
बने हो नेता तो फिर क्यों
क़ायर बनके जियों---------------------
शपथ जो ली थी कभी उसको आज याद करो
क़सम है तुमको न यूँ देश को बर्बाद करो
बहुत बना ली बातें तुमने
अब तो करके कुछ ही जियो------------
न जाने कितने आए और गये कितने यहाँ
भला जो करता उसीको तो याद करता जहाँ
रखा है क्या झूठी शानों में
शहीद बनके जियो-----------------
न निंदा करके जियों
और न चिट्ठी लिख के जियो
अगर हो हमले देश पर तो
लड़ते लड़ते जियो-----------
यह मिट्टी वीरोंकी है क्या यह बात याद नहीं
यह ऊँची कुर्सी विदेशों का सैर ज़िंदगी तो नहीं
बने हो नेता तो फिर क्यों
क़ायर बनके जियों---------------------
शपथ जो ली थी कभी उसको आज याद करो
क़सम है तुमको न यूँ देश को बर्बाद करो
बहुत बना ली बातें तुमने
अब तो करके कुछ ही जियो------------
न जाने कितने आए और गये कितने यहाँ
भला जो करता उसीको तो याद करता जहाँ
रखा है क्या झूठी शानों में
शहीद बनके जियो-----------------
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