Saturday, August 10, 2013

एक बहुत ही मशहूर गीत का मुखड़ा पेरोडी के रूप में लिख रहा हूँ - कोशिश कीजिए इसे आगे बढ़ाने की--- किसीने कोशिश नहीं की - तो चलो मैं कर लूँ ओखली में सर दिया तो मूसल से क्या डरना 

न निंदा करके जियों 
और न चिट्ठी लिख के जियो 
अगर हो हमले देश पर तो 
लड़ते लड़ते जियो----------- 

यह मिट्टी वीरोंकी है क्या यह बात याद नहीं 
यह ऊँची कुर्सी विदेशों का सैर ज़िंदगी तो नहीं 
बने हो नेता तो फिर क्यों 
क़ायर बनके जियों---------------------

शपथ जो ली थी कभी उसको आज याद करो
क़सम है तुमको न यूँ देश को बर्बाद करो
बहुत बना ली बातें तुमने
अब तो करके कुछ ही जियो------------

न जाने कितने आए और गये कितने यहाँ
भला जो करता उसीको तो याद करता जहाँ
रखा है क्या झूठी शानों में
शहीद बनके जियो-----------------

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