अपने भी कुछ मित्र हैं यहाँ जिन्हे मेरी पेरोडी की लत लग गयी है - उनमें से एक मित्र हैं श्री अवधेश भाई - उनके लिए 4 पंक्तियाँ लिख रहा हू
रहा गर्दिशों में हरदम- मेरे देश का सितारा
कभी मंत्रियों ने लूटा - कभी बाबुओं ने मारा...
कोई आके देखे जाए किस हाल में है जनता
सरकार को दे टेक्स - करें आँसू पे गुज़ारा--
यह हमारी बदनसीबी जो नहीं तो और क्या है
कि उन्हीके हाथ हैं देश,जिनसे है उसको ख़तरा
पड़े जब गमोंसे पाले- हम जा के वोट डाले
किससे करें शिकायत - यहाँ कौन है हमारा --
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